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पीडीपी के महागठबंधन के फार्मूले से भाजपा तिलमिलायी, बोली यह राज्य की जनता के साथ धोखा

श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन को लेकर सभी पार्टियों ने कवायद तेज़ कर दी है. भाजपा पीडीपी सहित कई अन्य पार्टियों का राज्यपाल से मिलने का सिलसिला जारी है. शुरुआत में चुनाव परिणाम आते ही ऐसी खबर थी कि भाजपा और पीडीपी साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में सरकार बना रही है. यह भी लगभग तय […]

श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन को लेकर सभी पार्टियों ने कवायद तेज़ कर दी है. भाजपा पीडीपी सहित कई अन्य पार्टियों का राज्यपाल से मिलने का सिलसिला जारी है. शुरुआत में चुनाव परिणाम आते ही ऐसी खबर थी कि भाजपा और पीडीपी साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में सरकार बना रही है.

यह भी लगभग तय हो गया था कि मुख्यमंत्री भाजपा का होगा और भाजपा ने इसके लिए केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह का नाम भी तय कर दिया था. लेकिन बाद में पीडीपी को भाजपा का यह प्लान रास नहीं आया और उसने भाजपा के सामने कड़ी शर्तें रख दी. इस शर्त में पीडीपी का मुख्यमंत्री बनाना भी शामिल था. मामला यहीं पर थम गया.

इस गतिरोध को दूर करने के लिए राज्यपाल एनएन वोहरा ने भाजपा और पीडीपी के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया लेकिन बात नहीं बनी.

जम्मू कश्मीर में सत्ता की दावेदारी की कवायद में एक नया मोड तब आया जब पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन के लिए अपनी धुर विरोधी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर सरकार गठन का विचार पेश किया. नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला कह चुके हैं कि जब नीतीश और लालू एक हो सकते हैं तो हम क्यों नहीं हो सकते .

इसी सिलसिले में आज भाजपा महासचिव राम माधव और पार्टी की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष जुगल किशोर शर्मा ने राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात की. जम्मू-कश्मीर में महागठबंधन की चर्चाओं के बीच राज्य बीजेपी के अध्यक्ष जुगल किशोर शर्मा का कहना है कि पीडीपी का महागठबंधन का फॉर्मूला राज्य की जनता के साथ धोखा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा हुआ तो, यह बीजेपी को मिले जनाधार का अपमान होगा. भाजपा महासचिव राम माधव ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उनकी राज्यपाल से क्या बातचीत हुई है.

इस बीच खबर है कि पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के मुद्दे पर बुधवार को प्रदेश के राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात करेंगी.

गौरतलब है कि 87 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 28 सीटों के साथ पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. उसके बाद भाजपा को 25, नेशनल कांफ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली हैं. बाकी की सात सीटें छोटे दलों और निर्दलियों ने जीती हैं. राज्य में सरकार गठन के लिए कोई भी राजनीतिक दल 44 विधायकों का समर्थन जुटाने में सफल नहीं हो पाया है. ताजा समीकरण के अनुसार कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और कई निर्दलियों ने सरकार बनाने के लिए पीडीपी को समर्थन की पेशकश की है.

इस फैसले के बाद से भाजपा का जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के सपने पर पानी फिरता नजर आ रहा है. जिस तरह से भाजपा का जादू हरियाणा में चला, जिस तरह से भाजपा का जादू महाराष्ट्र में चला, जिस तरह से झारखंड में चला उस तरह की जादू जम्मू कश्मीर में चलता नजर नहीं आ रहा है.

हरियाणा और झारखंड में तो भाजपा ने पूर्ण बहुमत प्राप्त की. लेकिन जिस तरह से काफी कशमकश की बाद महाराष्ट्र में भाजपा का मुख्यमंत्री बनाने में पार्टी सफल रही उसी तरह की रणनीति उसकी जम्मू-कश्मीर में भी थी. लेकिन पीडीपी ने उसका सारा खेल बिगाड दिया है. अब कल बुधवार का इंतजार है कि पीडीपी नेता राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करती है या फिर भाजपा कुछ नया खेल खेलती है.

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