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नाम का भी बच्चे पर पड़ता है गहरा असर

वीना श्रीवास्तव लेखिका व कवयित्री आज शाम की ट्रेन से पारु ल और सागर वापस जानेवाले थे. प्रांशु ने पराग को अपनी स्टोरी बुक दी और कहा- पराग इसमें बहुत अच्छी स्टोरीज हैं. मैं तो पढ़ चुका हूं, अब तुम पढ़ना. पराग ने उसे ‘थैंक्यू’ बोला फिर झरना को बुक देते हुए बोला- झरना दीदी, […]

वीना श्रीवास्तव
लेखिका व कवयित्री
आज शाम की ट्रेन से पारु ल और सागर वापस जानेवाले थे. प्रांशु ने पराग को अपनी स्टोरी बुक दी और कहा- पराग इसमें बहुत अच्छी स्टोरीज हैं. मैं तो पढ़ चुका हूं, अब तुम पढ़ना. पराग ने उसे ‘थैंक्यू’ बोला फिर झरना को बुक देते हुए बोला- झरना दीदी, आप मुङो इसमें से बढ़िया-बढ़िया स्टोरी सुनाना. झरना ने बुक लेकर देखा, तो उसमें नाम शिखर लिखा था. उसे देख कर झरना ने कहा- यह बुक तो किसी शिखर की है, तुम्हारी तो नहीं है.
तुम इसे ले जाओ. जिसकी बुक है, वह तुमसे मांगेगा तो तुम क्या करोगे? तब प्रांशु ने कहा- अरे झरना दीदी, शिखर भी मेरा नाम है स्कूल का. यह सुन कर पराग बोला- पर मेरा तो स्कूल में भी पराग ही है और झरना दीदी का भी झरना है, वंशिका दीदी का वंशिका है, तो तुम्हारे दो नाम क्यों हैं. प्रांशु ने कहा- मुङो क्या पता. नाम तो मम्मा ने रखा है, मम्मा को पता होगा. मैं अभी उनसे पूछकर आता हूं. प्रांशु दौड़ कर पारु ल के पास गया और बोला- मम्मा, स्कूल और घर में मेरे अलग-अलग नाम क्यों हैं? यहां तो सबका एक ही नाम है. मुङो भी एक ही नाम रखना है. पारु ल ने कहा- तुम्हारे दो नाम इसलिए हैं कि हमें दोनों नाम बहुत पसंद हैं.
इसलिए एक घर का और दूसरा स्कूल का. स्कूल में शिखर और घर में प्यार से प्रांशु कहते हैं. शिखर मतलब पहाड़ की चोटी और प्रांशु एक मुनि के बेटे का नाम था और वैसे उसका मतलब भी ऊंचा-उच्च से होता है, साथ ही प्रांशु का मतलब चंद्रमा भी होता है. इतने अच्छे अर्थ हैं दोनों के, इसलिए स्कूल में तुम्हारा नाम शिखर रखा, जिससे तुम हमेशा ऊंचाई पर रहो और घर में प्यार से प्रांशु बोलते हैं. दोनों का मतलब मिलता-जुलता है. यह सुनकर प्रांशु ने कहा- नहीं मम्मा, झरना दीदी की तरह मुङो भी एक नाम ही रखना है, दो नहीं. तभी पराग माधुरी के पास गया और बोला- मम्मा क्या आप मुङो प्यार नहीं करतीं? माधुरी ने उसे गोदी में उठाकर कहा- मैं तो अपने राजा बेटे को खूब प्यार करती हूं. फिर पराग ने कहा- अगर आप प्यार करती हैं तो आपने प्रांशु भइया की तरह घर में मेरा प्यार वाला नाम क्यों नहीं रखा? मामी जी कह रही थीं कि वह प्रांशु भइया को बहुत प्यार करती हैं. इसलिए उनको घर में प्यार से प्रांशु बुलाती हैं.
आप मुङो प्यार ही नहीं करतीं. यह सुनकर माधुरी ने कह- नहीं बेटा, ऐसा नहीं है. सभी मम्मा अपने बच्चों को बहुत प्यार करती हैं, लेकिन एक नाम ज्यादा अच्छा होता है. अभी तुम छोटे हो, इसलिए नहीं समझोगे. अगर तुम चाहोगे तो हम तुम्हारा प्यारवाला नाम भी रख देंगे. फिर माधुरी पराग को लेकर बाहर आयी और बाहर पारु ल को प्रांशु को समझाते देख कर हंसने लगी. उसे सारी बात समझ आ गयी. पायल यह सब देख रही थी. उसने पारुल से कहा- बिना मांगे क्या तुम्हें एक एडवाइज दूं? पारूल ने कहा- हां दीदी जरूर बताइए. आप जो कहेंगी हमारी भलाई के लिए ही होगा. पायल ने कहा- स्कूल और घर में अलग-अलग नाम होने से अच्छा है कि बच्चे का एक ही नाम हो या घर और स्कूल के नाम एक ही अक्षर से हों. साथ ही दोनों नामों के अर्थ विपरीत न हों.
अक्सर ऐसा होता है कि लोग बच्चे के दो नाम रख देते हैं और दोनों के अर्थ विपरीत होते हैं. विपरीत अर्थ के साथ दोनों नाम अलग अक्षरों से शुरू होते हैं, जिससे राशि भी अलग हो जाती है और हमें तीन राशि देखनी पड़ती है. अगर हम ज्योतिष को मानते हैं तो हमें यह भी समझना चाहिए कि हमारा जो नाम पुकारा जाता है, उसका हमारे ऊपर असर पड़ता है. अमूमन सभी लोग जन्मपत्री बनवाते हैं. ग्रह-नक्षत्र और राशि को मानते हैं. ग्रहों को फेवरेबुल बनाने के लिए यत्न करते हैं.
शादी से पहले मैं भी तीन राशियां देखती थी. एक तो जन्मपत्री के अनुसार, दूसरा स्कूल के नाम से और तीसरा घर के नाम से, क्योंकि घर में मुङो बॉबी बुलाते थे. मेरी मां को बॉबी नाम बहुत पसंद था, लेकिन यहां सब पायल ही बुलाते हैं. इसलिए अब दो राशि ही देखती हूं. विद्वानों का मानना है जिस नाम से किसी को ज्यादा पुकारा जाता है उस नाम की राशि का असर ज्यादा होता है. ऐसे में स्कूल या ऑफिस में भी नाम लेकर बुलाया जाता है. घर में भी सभी नाम लेते हैं, तो सवाल उठता कि किस नाम से राशि देखी जाये और कौन-सी राशि के ग्रहों की दशा या महादशा को माना जाये. बड़े-बड़े कामों में मसलन घर बनाने या शादी-विवाह के समय जन्मपत्री द्वारा ही शुभ घड़ी पर विचार किया जाता है, लेकिन आम दिनों में अपने नाम के अक्षर से ही राशि देखी जाती है.
हालांकि सब कनफ्यूजन वाली बातें हैं, लेकिन लोग विश्वास करते हैं. हम लोगों के घर में भी और हमारे ही घर में क्यों, हम जिन-जिनको जानते हैं, सभी के घर बच्चे के जन्म लेते ही सबसे पहले जन्मपत्री बनवायी जाती है. ग्रहों का हाल पूछा जाता है. ज्योतिष संबंधी तमाम बातें पूछी जाती हैं. जो भी व्यक्ति इन बातों को मानता है, उसे बच्चों का नाम रखते समय इन बातों पर विचार जरूर करना चाहिए. नाम अर्थपूर्ण होने चाहिए. अगर निक नेम रखना ही है तो प्रयास रहे कि जिस अक्षर से बच्चे का नाम स्कूल में लिखाया है, उसी अक्षर से घर के लिए कोई छोटा-सा, प्यारा-सा नाम रख लिया जाये. जिन बातों के मानने से कोई हानि न हो और लाभ की एक प्रतिशत भी उम्मीद हो, तो वह इनसान को मान लेनी चाहिए.
(क्रमश:)
स्कूल और घर में अलग-अलग नाम होने से अच्छा है कि बच्चे का एक ही नाम हो या घर और स्कूल के नाम एक ही अक्षर से हों. साथ ही दोनों नामों के अर्थ विपरीत न हों. अक्सर ऐसा होता है कि लोग बच्चों के दो नाम रख देते हैं, जबकि अगर हम ज्योतिष को मानते हैं, तो हमें यह भी समझना चाहिए कि हमारा जो नाम पुकारा जाता है, उसका हमारे ऊपर गहरा असर पड़ता है.

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