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बच्चों में मानसिक रोग बढ़ाता है तनाव

पहले तनाव सिर्फ बड़ों को होता था, लेकिन अब यह समस्या बच्चों को भी होने लगी है. इसके कारण बच्चों में आगे चल कर कई मानसिक रोग होने का खतरा रहता है. क्या हैं इसके लक्षण : बिस्तर गंदा करना (पेशाब कर देना), खुद को परिवार से अलग-थलग करना, सोचते रहना, शांत एवं गुमसुम हो […]

पहले तनाव सिर्फ बड़ों को होता था, लेकिन अब यह समस्या बच्चों को भी होने लगी है. इसके कारण बच्चों में आगे चल कर कई मानसिक रोग होने का खतरा रहता है.
क्या हैं इसके लक्षण : बिस्तर गंदा करना (पेशाब कर देना), खुद को परिवार से अलग-थलग करना, सोचते रहना, शांत एवं गुमसुम हो जाना, स्कूल का भय, परीक्षा का भय, सहमे रहना, घर से भागना, बात-बात पर चिढ़ना एवं आक्रामक हो जाना आदि.
क्या हैं कारण : माता-पिता की बच्चों से अधिक अपेक्षा, पढ़ाई का दबाव, अन्य बच्चों से तुलना करना, बच्चों के सामने माता-पिता के झगड़े आदि. अक्सर बच्चे पढ़ाई में अपना बेस्ट देते हैं लेकिन अधिक नंबर न आने के कारण माता-पिता या शिक्षक उन्हें कमतर समझते हैं. ऐसे में बच्चा खुद को असहाय समझता है. इससे बच्चे के भीतर हीन भावना और असुरक्षा की भावना आ जाती है.
ऐसे होगा तनाव कम : बच्चोंकी क्षमता और रुचि को समङों. उसकी असफलता पर उसे डांटने की बजाय उसे अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें. घर के वातावरण को तनावमुक्त रखें. बच्चों के सामने अपनी परेशानियां या झगड़ों को न लाएं. बच्चों से वैसी ही अपेक्षा रखें जिसे वे पूरा कर सकें. बच्चों के दिल के करीब जाने की कोशिश करें, ताकि वे दिल की बात बता सकें. बात-बात पर मारने की बजाय उन्हें प्यार से समझाने का प्रयास करें. बचपन से उन्हें इतना मजबूत बनाएं कि छोटी-छोटी परेशानियों से भागें नहीं, बल्कि डट कर सामना करें.
डॉ बिन्दा सिंह
क्लिनिकल
साइकोलॉजिस्ट, पटना
मो : 9835018951

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