रांची: राजीव आवास योजना के तहत राजधानी के पांच स्लमों को विकसित किया जाना था. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इन पांच मोहल्लों में रहनेवाले सभी लोगों के लिए पक्का मकान, शौचालय, सामुदायिक भवन, सहित सड़क व नाली का निर्माण किया जाना था.
योजना को धरातल पर उतारने के लिए नगर निगम द्वारा तीन बार टेंडर निकाला गया. परंतु किसी भी एजेंसी ने इस टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया. इधर किसी के भाग नहीं लेने के कारण अब नगर निगम ने सरकार से मार्गदर्शन मांगा है कि आखिर किस प्रकार से राजीव आवास योजना को धरातल पर उतारा जाये.
3.82 लाख में बनता एक मकान : केंद्र सरकार की इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए बड़ा घाघरा, लोहरा कोचा (थड़पखना में), नामकुम, महुआ टोली व उरांव टोली बरियातू का चयन किया गया था. इस योजना के तहत नगर निगम शहर के गरीबों के जमीन पर ही उनके लिए आवास का निर्माण करता. एक आवास के निर्माण पर 3.88 लाख रुपये खर्च किये जाने का अनुमान था. इस प्रकार से 1500 मकानों के निर्माण पर 80 करोड़ रुपये खर्च किये जाते. इस योजना के तहत भवनों में लाभुकों को दो बेडरूम, हॉल व किचन और बाथरूम बना कर दिया जाता.
इसलिए नहीं आये संवेदक
टेंडर प्रक्रिया में किसी के भाग नहीं लेने पर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर इस टेंडर प्रक्रिया में किसी ने क्यों नहीं भाग लिया? नाम नहीं छापने की शर्त पर एक संवेदक ने कहा कि इस योजना को धरातल में उतारने में भी जमीन की समस्या सामने आयेगी. दूसरी बात लोग अपने घर को टुकड़े-टुकड़े में तोड़ेंगे. आवास निर्माणतभी हो सकता है जब लोग अपने घर खाली कर दें. पर यहां के लोग आवास खाली भी नहीं करेंगे.
राजीव आवास योजना के तहत आवास निर्माण के लिए तीन बार टेंडर निकाला गया था. जिसमें किसी एजेंसी ने रुचि नहीं दिखायी. हमने सरकार से मार्गदर्शन मांगा है कि अब इस मामले में निगम क्या कदम उठाये.
मनोज कुमार, सीइओ नगर निगम