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प्रतिबंध के बाद बिहार समेत देश के सात राज्यों में गुटखा की खपत घटी, विज्ञापन

– डब्लूएचओ द्वारा कराये गये अध्ययन से सामने आया यह परिणामसंवाददाता, पटनाराज्यस्तरीय कड़े कानूनों से गुटखा पर लगाये गये प्रतिबंध के चलते तंबाकू उत्पाद की उपलब्धता और खपत में कमी आयी है. इससे साफ जाहिर होता है कि बिहार समेत देश के सात राज्यों में गुटखा की खपत घटी है. डब्लूएचओ द्वारा जांस हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग […]

– डब्लूएचओ द्वारा कराये गये अध्ययन से सामने आया यह परिणामसंवाददाता, पटनाराज्यस्तरीय कड़े कानूनों से गुटखा पर लगाये गये प्रतिबंध के चलते तंबाकू उत्पाद की उपलब्धता और खपत में कमी आयी है. इससे साफ जाहिर होता है कि बिहार समेत देश के सात राज्यों में गुटखा की खपत घटी है. डब्लूएचओ द्वारा जांस हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग पब्लिक हेल्थ स्कूल के साथ मिल कर कराये गये एक अध्ययन में यह परिणाम सामने आया है. वहीं दूसरी ओर एक रिपोर्ट में बताया गया है कि धुआं रहित तंबाकू का सेवन वैश्विक समस्या है. इसके बढ़ते सेवन और इससे संबद्ध उद्योगों को मिल रहा बढ़ावा से दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रही है. खासकर दक्षिण पूर्व एशिया धुआं रहित तंबाकू के सेवन के लिए सबसे बड़ा बोझ बन गया है, जहां दुनिया के 89 फीसदी लोग इसका सेवन करते हैं. तीन देश भारत, बांग्लादेश और म्यांमार में इसके सेवन के 259 मिलियन लोग हैं, जो विश्व के कुल सेवनकर्ता का 86 फीसदी है. कैंसर अवेयरनेस सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष टीपी सिन्हा ने भी कहा कि तंबाकू पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से उन उत्पादों की खपत घटती है. उन्होंने कहा कि जरूरी सिर्फ इस बात की है कि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाये. सोसाइटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ एए हई ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के परिणाम से खुश होनेवाली बात सामने आयी है. तंबाकू पदाथार्ें का सेवन घटने से लाखों लोगों की जान बचेगी.

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