दरभंगा. लहेरियासराय के बलभद्रपुर स्थित ब्रहृमस्थान में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा वैदिक मंत्रोच्चार के संग संपन्न हो गया. कथा व्यास मानस मर्मज्ञ पंडित जानकी शरण बाल व्यास ने कहा कि तुलसी के राम कोई व्यक्ति नहीं है, वे तो साक्षात परब्रहृम है. जो ब्राहृमण, शूद्र, सभी उनके अंग हैं. वे विप्रों को समादर तो देते हैं, परंतु आनंद उन्हें तभी आता है जब केवटी उन्हें मित्र कहकर पुकारता है. दशरथ पुत्र श्रीराम को देश, काल, जाति को संकीर्ण परिधि में नहीं बांधा जा सकता है. भगवान श्रीराम के विवाह लीला का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए बाल व्यास ने कहा, सनातन धर्म मंे सोलह प्रकार के संस्कार की व्यवस्था है, जिसमें विवाह एक बुनियादी भावनात्मक संस्कार है, जिसके द्वारा समाज एवं परिवार को सृजनात्मक ढांचा प्रदान किया जाता है. श्रीराम कथा श्रवण के फलश्रुति को बताते हुए उन्होंने कहा, संयम, सेवा, सद्भाव एवं सदाचार ही रामचरित मानस का मूल उद्देश्य है. इसके द्वारा ही समाज व परिवार में सुख, शांति का आगमन होता है. इस अवसर पर पुष्पा चौधरी, दिनेश प्रसाद, श्याम झा, गौड़ी शंकर यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया. श्री राम एवं सीता के विवाह लीला की सुंदर झांकी निकाली गयी.
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सनातन धर्म में 16 संस्कार : बाल व्यास
दरभंगा. लहेरियासराय के बलभद्रपुर स्थित ब्रहृमस्थान में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा वैदिक मंत्रोच्चार के संग संपन्न हो गया. कथा व्यास मानस मर्मज्ञ पंडित जानकी शरण बाल व्यास ने कहा कि तुलसी के राम कोई व्यक्ति नहीं है, वे तो साक्षात परब्रहृम है. जो ब्राहृमण, शूद्र, सभी उनके अंग हैं. वे विप्रों को […]
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