बोकारो: घर-घर घूमकर बात करने से बेहतर है अपने घर की बागबानी. खाने के लिए कुछ सब्जियां भी हो जाती है और सुबह फूलों के साथ जागने से दिन भी अच्छा गुजरता है.
पति के काम पर जाने के बाद समय काटने के लिए बागबानी की शुरुआत की. हर दिन सुबह तीन घंटे व शाम को दो घंटे बाग के पेड़-पौधों के साथ बिताना अब दिनचर्या बन गयी है. बात हो रही है, सेक्टर-12ए/2248 निवासी विद्यावती देवी की. विद्यावती कहतीं हैं कि तन्हाई में पौधे ही मेरा साथ देते हैं. बागीचा की सुंदरता खुद बताती है कि विद्यावती ने किस कदर इसकी सेवा की है. विद्यावती के पति ब्रजेश कुमार सिंह 2005 में बीएसएल से सेवा मुक्त हुए. वह वेल्डर के पद पर कार्यरत थे.
विद्यावती देवी बताती हैं : जब भी मन के कोने में तन्हाई होती है, बाग के पेड़-पौधे साथ देते हैं. इनके साथ इतना समय गुजारा है कि पत्तियों के हिलने व गिरने से भी एक संदेश मिलता है. कभी- कभी ऐसा समय भी आता है कि पौधे अपनी हालात खुद कह देते है. सुबह इनके पत्तियों को छूकर पूरा होने का एहसास होता है. विद्यावती देवी गांव-अगमापुर, थाना- रघुनाथपुर, जिला- सीवान की रहने वाली हैं. पिछले 30 साल से बोकारो में रह रहीं हैं.
सब्जी खरीदने बाजार नहीं जातीं
मेहनत व सही देखभाल के कारण सब्जी खरीदने के लिए शायद ही कभी बाजार जाना पड़ता है. सीजन में सब्जी का उत्पादन इतना होता है कि कुछ आस-पास के लोगों को बांट देते है. इससे सब्जी का सही इस्तेमाल हो जाता है. विद्यावती की बागबानी में नके पुत्र सत्येन्द्र कु मार व उपेन्द्र कुमार मदद करते हैं.
तीन रंग के गुलाब समेत 12 फूल बिखेरते हैं रंग
विद्यावती के बाग में लाल, पीला व गुलाबी रंग के गुलाब हैं. इसके अलावा चमेली, अड़हूल, मुर्गा फूल, गेंदा, सदाबहार व मखमली समेत 12 फूल के पौधे अपना रंग बिखेर रहे हैं. सब्जी में फूलगोभी, आलू, मटर, लहसून, प्याज, चना, अरहर, सरसो, मिर्च व कोहड़ा है. फल में आम, अमरूद, पपीता व केला के पेड़ बाग में जगह बनाये हुए हैं. मनी प्लांट, पान पता, नीम, सहजन के पौधे भी बाग की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं.