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आत्मा गवाही दे, तभी बदलें धर्म
धर्म परिवर्तन आज एक ऐसा मुद्दा है, जो कई दिनों से काफी चर्चा में है. यह सोचनेवाली बात है कि क्या सच में किसी का धर्म परिवर्तन कराया जा सकता है. मेरे ख्याल से तो नहीं. कोई भी व्यक्ति अपने धर्म के साथ अपनी आत्मा और आस्था से जुड़ा होता है. ऐसा बहुत ही कम […]
धर्म परिवर्तन आज एक ऐसा मुद्दा है, जो कई दिनों से काफी चर्चा में है. यह सोचनेवाली बात है कि क्या सच में किसी का धर्म परिवर्तन कराया जा सकता है. मेरे ख्याल से तो नहीं. कोई भी व्यक्ति अपने धर्म के साथ अपनी आत्मा और आस्था से जुड़ा होता है.
ऐसा बहुत ही कम होता है कि कोई किसी के दबाव या फिर बहकावे में आकर किसी अन्य धर्म को आत्मसात कर उसमें अपनी आस्था व्यक्त करता हो. जो व्यक्ति वर्षो से अपने धर्म के प्रति उदार होता है, क्या सही मायने में उसके धर्म को कुछ ही घंटों की बातचीत में इस तरह बदला जा सकता है. लोगों का यह सोचना शायद गलत होगा. क्योंकि कोई व्यक्ति तब तक अपने पुरातन धर्म का परिवर्तन नहीं कर सकता, जब तक कि उसकी आत्मा और इच्छा उसे ऐसा करने के लिए गवाही न देती हो, अन्यथा दबाव में किया गया परिवर्तन दुखदायी होता है.
टिकू सिंह, ई-मेल से
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