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डोयन की गलती, डॉक्टर-नर्स परेशान

भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित डोयन जांच घर की लापरवाही का खामियाजा यहां के मरीज तो उठाते ही थे. अब यहां के चिकि त्सक व नर्स भी इनके लापरवाही का शिकार हो रहे हैं. एक ताजा मामला डोमो कुमारपुर के मरीज से जुड़ा है. इस बार इसके शिकार यहां के एक एनेस्थेटिक […]

भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित डोयन जांच घर की लापरवाही का खामियाजा यहां के मरीज तो उठाते ही थे. अब यहां के चिकि त्सक व नर्स भी इनके लापरवाही का शिकार हो रहे हैं. एक ताजा मामला डोमो कुमारपुर के मरीज से जुड़ा है. इस बार इसके शिकार यहां के एक एनेस्थेटिक व एक नर्स हुए हैं.

क्या है मामला. एक ग्यारहवीं का छात्र फुटबॉल खेलने के दौरान ट्रैक्टर से दुर्घटनाग्रस्त हो गया. परिजनों के अनुसार 21 दिसंबर को यह दुर्घटना हुई थी. जेएलएनएमसीएच में 21 की रात उसका ऑपरेशन किया गया. इस बीच डोयन जांच एजेंसी से मरीज में हेपेटाइटिस बी नन रिएक्टिव बताया गया. इस बीच प्राइवेट जांचघर के सूर्या जांचघर से भी जांच करायी गयी, तो नेगेटिव ही बताया गया. जब चिकित्सकों को इस पर भी विश्वास नहीं हुआ तो सुभाषिणी पैथोलैब में जांच करायी गयी. फिर पता चला कि मरीज हेपेटाइटिस बी पोजेटिव से ग्रसित है.

जानकारी मिलने के बाद चिकित्सकों व नर्सो के हाथ-पांव फूलने लगे. चूंकि ऑपरेशन के दौरान एक एनेस्थेटिक और नर्स के हाथ में भी इंजेक्शन चुभ गया था. चिकित्सक ने तो 21 हजार रुपये खर्च कर प्राइवेट में इससे बचाव के लिए इंजेक्शन ले लिया पर नर्स ने अब तक इंजेक्शन नहीं लिया है. नर्स का कहना है कि सरकारी कार्य के दौरान इस तरह की घटना हुई है इसलिए सरकार उन्हें इंजेक्शन दिलाने की व्यवस्था करे. घटना के बाद से अस्पताल के नर्स, कंपाउंडर व चिकित्सकों के बीच दहशत का माहौल है. यहां के चिकित्सकों का कहना है कि डोयन जांच घर में पहली बार रिपोर्ट गलत नहीं दिया गया है. आये दिन इस तरह की घटना होती है. इसके पूर्व गड़बड़ी की शिकायत पर तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त मिन्हाज आलम ने जांच करायी थी. एजेंसी को सुधार करने को कहा था. दो वर्ष पूर्व शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफे सर डॉ आरके सिन्हा ने भी अधीक्षक से गलत रिपोर्ट के बारे में लिखित शिकायत की थी.

दूसरे मरीज को होगी परेशानी. चिकित्सकों के मुताबिक जिस टेबल पर हेपेटाइटिस बी के मरीज का ऑपरेशन किया जाता है वह संक्रमित हो जाता है. इसलिए ऐसे मरीजों के इलाज के लिए टेबल अलग कर दिया जाता है.

पहले भी गलत कीट से हो चुकी है जांच

दो वर्ष पूर्व जब जिला में डेंगू की बीमारी फैली थी उस वक्त भी कई मरीजों के जांच में गलत रिपोर्ट की शिकायत आयी थी. जानकारों के मुताबिक बेहतर रिपोर्ट के लिए एलाइजा कीट से जांच करनी चाहिए पर यहां आठ से दस रुपये कीमत वाली कीट से जांच की जाती है. इसके अलावा इमरजेंसी में घटना- दुर्घटना में घायल मरीजों की जांच में कई बार बिना जांच रिपोर्ट जारी कर दी जाती है. चूंकि यहां 24 घंटे पैथोलॉजिस्ट की व्यवस्था नहीं है न ही कुशल टेक्नीशियन हैं.

मंत्री ने साधना जांच घर को किया था रद्द

2011 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने अस्पताल में चल रहे साधना जांच घर की कई गड़बड़ियों को पकड़ा था. इसके बाद एजेंसी का अनुबंध रद्द किया गया था और तात्कालिक व्यवस्था के तर्ज पर डोयन को जांच करने का निर्देश दिया था. डोयन जांच घर के बारे में भी कई बार अधीक्षक, प्रमंडलीय आयुक्त से लेकर अन्य अधिकारियों को मरीजों ने शिकायत की गयी. पर अब तक कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है.

डोयन जांच एजेंसी द्वारा गलत रिपोर्ट देने की जानकारी मिली है. ऑपरेशन के दौरान एक चिकि त्सक व नर्स को भी इंजेक्शन चुभ गया था. हालांकि बचाव में चिकित्सक ने इंजेक्शन ले लिया है. पर यह गंभीर बात है. इस मामले को लेकर सरकार को पत्र लिख कर एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जायेगी.

डॉ आरसी मंडल, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच

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