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शौक नहीं, मजबूरी है बागबानी : दिनेश

बोकारो: सेक्टर 11 ए/1011 के बागान में लगे कई रंग के फूल केवल इस बागान या घर की ही नहीं, बल्कि पूरे मुहल्ले की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं. वहीं सब्जियां इतनी लगी हैं कि आस-पास बांटने के बाद भी खत्म नहीं होती. यह मकान है बीएसएल के आरएमपी विभाग में कार्यरत दिनेश कुमार चौबे का. […]

बोकारो: सेक्टर 11 ए/1011 के बागान में लगे कई रंग के फूल केवल इस बागान या घर की ही नहीं, बल्कि पूरे मुहल्ले की खूबसूरती बढ़ा रहे हैं. वहीं सब्जियां इतनी लगी हैं कि आस-पास बांटने के बाद भी खत्म नहीं होती. यह मकान है बीएसएल के आरएमपी विभाग में कार्यरत दिनेश कुमार चौबे का.

ड्यूटी आवर के बाद का सारा समय वे बागबानी के लिए निकालते हैं. कहा : वे दिन कुछ और थे, जब शौक से बागबानी की शुरुआत की थी, लेकिन अब यह महज शौक नहीं है, बल्कि मजबूरी बन चुकी है. कहते हैं, जब तक बागान में समय नहीं बिताता, दिन अधूरा सा लगता है.

पत्ते देख कर पता चल जाता है मौसम का मिजाज : श्री चौबे का बचपन गांव-पोस्ट-रघुनंदनपुर, जिला-बेगूसराय में बीता. यहीं से बागबानी की शुरुआत उन्होंने की. 1983 में बीएसएल ज्वाइन करने के बाद समय बिताने के लिए बागबानी के शौक को आगे बढ़ाया. यही शौक धीरे-धीरे मजबूरी बन गयी. श्री चौबे बताते हैं कि पौधों की पत्तियों को देख कर उन्हें मौसम के मिजाज का अंदाज हो जाता है. पत्नी नीलम देवी व पुत्र राकेश रंजन भी उनकी मदद करते हैं.

उड़हुल भी गुलाब जैसा

श्री चौबे के बागान में तीन रंग के उड़हुल गुलाब, गेंदा, चमेली समेत कई और फूल लगे हैं. केला के 15 पौधे हैं. श्री चौबे बताते हैं कि उड़हुल के फूल इतने बड़े होते है कि गुलाब की खूबसूरती भी उसके सामने फीकी पड़ जाती है. इसके अलावे श्री चौबे अपने बागान में फूल गोभी, बंदा गोभी, आलू, मिर्च, बीन, टमाटर, पपीता समेत कई और सब्जियां उगाते हैं. घर की शोभा बढ़ाने के लिए ताड़ का छोटा पेड़, सुइया, कैक्टस आदि भी उन्होंने लगा रखा है.

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