जमशेदपुर: झारखंड आंदोलनकारी सह पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि भाजपा नेता अर्जुन मुंडा को खरसावां की जनता ने सही रास्ता दिखाया है. मुंडा की हार पर जैसे को तैसा जैसी कहावत चरितार्थ होती है. 1995 में उन्होंने अर्जुन मुंडा को खरसावां से झामुमो के टिकट पर पहली बार विधायक बनाने का काम किया था.
उन्हें इस बात पर भी गर्व है कि 2014 में उन्होंने ही झामुमो प्रत्याशी दशरथ उर्फ कृष्णा गागराई के हाथों भाजपा के सीएम मेटेरियल कहलानेवाले अर्जुन मुंडा को पराजित करने का काम किया. उलियान स्थित समाधि स्थल पर गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री महतो ने कहा कि उन्होंने शपथ ली थी कि अर्जुन मुंडा और सुदेश महतो को हराकर ही दम लेंगे. इस कड़ी में उन्हें कृष्णा गागराई और अमित महतो के रूप में दो मजबूत प्रत्याशी मिले. इन दोनों को उन्होंने ही झाविमो व भाजपा छोड़ कर झामुमो में शामिल होने की सलाह दी. इसके बाद वे झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कहे बिना ही इन दोनों के चुनाव प्रचार में लग गये थे. उन्हें श्री सोरेन ने फोन किया था. कहा कि चाचा आपकी मदद की जरूरत है, मदद करें.
इस पर उन्होंने कहा कि वे अपने मिशन में बिना बोले ही लग गये हैं. हेमंत के कहने के बाद उन्होंने गुरुजी के साथ झामुमो की कई सभाओं में मंच साझा किया. श्री महतो ने कहा कि अर्जुन मुंडा को खरसावां की जनता ने पिछले उपचुनाव में ही नाकार दिया था, लेकिन उस वक्त वे राज्य के मुख्यमंत्री थे, जिसके कारण जनता की आवाज दबा दी गयी.
श्री महतो ने स्वीकारकिया कि उनके साथ लोकसभा में किया गया छल अर्जुन मुंडा को भारी पड़ गया. भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी पत्नी सह पूर्व सांसद आभा महतो को जमशेदपुर से प्रत्याशी बनाया जाना लगभग तय हो गया था, लेकिन अर्जुन मुंडा ने इस मामले में अड़ंगा लगाया, जिसकी पुष्टि उन्हें भाजपा के वरीय नेताओं ने भी की. श्री महतो ने इस बात से इनकार किया कि वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि चुनावी चकल्लस के कारण वे तीन माह से अपने किताब से दूर हो गये थे, जिसे वे जल्द पूरा करेंगे.