पटना: एनसीटीइ द्वारा दो वर्षीय बीएड-एमएड शुरू करने का निर्णय ले लिया गया है और इस संबंध में निर्देश वेबसाइट पर भी जारी कर दिया गया है, लेकिन अब तक कॉलेजों व विभागों को इस संबंध में कोई भी दिशा निर्देश न तो एनसीटीइ से और न ही विश्वविद्यालय से मिला है. कॉलेजों व विभागों में जुलाई से सत्र प्रारंभ होना है और इतनी जल्दी दो वर्षो का पाठय़क्रम लागू करने के आसार बिल्कुल ही कम हैं.
लागू करने में कई दिक्कत
बीएड व एमएड में दो वर्षीय पाठय़क्रम लागू करने में कई पेच हैं. एनसीटीइ की वेबसाइट पर सारे दिशा निर्देश जारी कर दिये गये हैं, लेकिन कॉलेजों व विभागों का कहना है कि वे सिर्फ एनसीटीइ के निर्देश से सीधे तौर पर दो वर्षो का पाठय़क्रम लागू नहीं कर सकते, क्योंकि कॉलेज या विभाग विवि से संचालित होते हैं और इस संबंध में विवि का ही आदेश या निर्देश मानेंगे. विवि को भी नया करने के लिए राजभवन से स्वीकृति लेनी होगी.
अभी लगेगा समय
विवि अगर इस संबंध में अभी प्रयास शुरू भी कर दे, तो भी इसे लागू करने में काफी समय लगेगा. पहले दो वर्षीय पाठय़क्रम की रूपरेखा तैयार कर उसे एकेडमिक काउंसिल से स्वीकृति लेनी होगी. इसके बाद उसे सिंडिकेट और सीनेट से भी स्वीकृति लेने के बाद उसे राजभवन भेजना होगा. राजभवन से स्वीकृति मिलने के बाद ही विवि इसे कॉलेजों में लागू कर सकेगी और इन सब में जितना समय लगेगा उसको देखते हुए ऐसा कहीं से प्रतीत नहीं होता कि अगले सत्र में इसे लागू किया जा सकेगा. इसलिए कॉलेज या विभाग यह मान कर चल रहे हैं कि यह 2016-18 सेशन से पहले तो लागू नहीं होगा.
इन्फ्रास्ट्रचर की भी है समस्या
दो वर्षीय कोर्स लागू होने के बाद भी कई तरह की समस्याएं आयेंगी. जैसे कॉलेजों व विभागों को दोगुना इन्फ्रास्ट्रचर और दोगुने शिक्षक की भी आवश्यकता पड़ेगी. अभी बीएड में प्रति 100 छात्रों के लिए 7 प्लस 1 शिक्षक का मापदंड है तो पीजी विभाग में 35 छात्रों के लिए 5 प्लस 1 शिक्षक होने चाहिए. नये सिस्टम में इस अनुपात में भी बदलाव करना होगा.
अगर एनसीटीइ विश्वविद्यालयों से पत्रचार करता है, तभी विवि इस संबंध में आगे कोई कदम बढ़ायेगा. विवि का जो भी निर्देश आयेगा उसका हम पालन करेंगे. फिलहाल जैसे चल रहा है, वैसे ही पुराने एक वर्षीय पाठय़क्रम पर ही बीएड व एमड चलेंगे.
प्रो वासे जफर, विभागाध्यक्ष, एमएड, पटना विवि
हम इंतजार में हैं कि इस संबंध में यूनिवर्सिटी क्या आदेश देती है. जब तक यूनिवर्सिटी कोई दिशा निर्देश नहीं देती है, तब तक हम वेट एंड वाच की स्थिति में हैं और पुराने सिस्टम पर ही चलेंगे.
डॉ ध्रुव कुमार, प्राचार्य, आरपीएस टीचर ट्रेनिंग कॉलेज