जमशेदपुर. टाटा स्टील का मजदूर से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले रघुवर दास ने राजनीति को हमेशा समाज सेवा के रूप में देखा है. 1995 में जब भाजपा ने जमशेदपुर पूर्वी से उन्हें टिकट दिया, तो उनके खिलाफ कांग्रेस के दिग्गज नेता केपी सिंह चुनाव मैदान में थे. वहीं भाजपा के बागी सह तत्कालीन विधायक दीनानाथ पांडेय भी चुनाव मैदान में थे. उस कठिन परिस्थिति में उन्होंने केपी सिंह (अब स्वर्गीय) को 1101 मतों से पराजित किया. दीनानाथ पांडेय तीसरे नंबर पर रहे. रघुवर दास को 1995 के चुनाव में 26,880 मत मिले थे. वहीं केपी सिंह को कुल 25,779 मत मिले थे. उस दौरान कई अखबारों ने टिप्पणी की थी कि रघुवर दास की जीत मुश्किल है, लेकिन वह जीते और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2000 के चुनाव में रघुवर दास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी केपी सिंह को 47,963 मतों से पराजित किया. वर्ष 2000 में रघुवर दास को 70,358 और केपी सिंह को 22,395 मत मिले. हालांकि, 2005 के चुनाव में यह अंतर घट गया. 2005 के विधान सभा चुनाव में रघुवर दास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के रामाश्रय प्रसाद को 18,398 मतों से पराजित किया. इस बार रघुवर दास को 65,116 और रामाश्रय प्रसाद को 46,718 मत मिले थे. 2009 के चुनाव में रघुवर दास ने अपनी स्थिति में सुधार की. इस बार श्री दास ने झाविमो प्रत्याशी अभय सिंह को 22,963 मतों से पराजित किया. रघुवर दास को इस चुनाव में 56,165 मत मिले थे. वहीं अभय सिंह को 33,202 मत मिले थे. इस बार के चुनाव में कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को रघुवर दास ने 70 हजार से भी अधिक मतों से पराजित किया.
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1101 से 70 हजार मतों से जीतते रहे हैं रघुवर
जमशेदपुर. टाटा स्टील का मजदूर से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले रघुवर दास ने राजनीति को हमेशा समाज सेवा के रूप में देखा है. 1995 में जब भाजपा ने जमशेदपुर पूर्वी से उन्हें टिकट दिया, तो उनके खिलाफ कांग्रेस के दिग्गज नेता केपी सिंह चुनाव मैदान में थे. वहीं भाजपा के बागी सह […]
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