नयी दिल्ली. सरकार ने बीमा क्षेत्र में सुधार को लेकर अध्यादेश लाने की संभावना को खारिज नहीं किया है. वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा से मंगलवार को यहां यह पूछे जाने पर कि हमें सभी संभावनाओं पर विचार करना होगा, क्योंकि वास्तविकता यह है कि देश को बीमा क्षेत्र में और निवेश की जरूरत है. बीमा संशोधन विधेयक इस सत्र में राज्यसभा में पारित न होने के लिए उन्होंने ‘राजनीतिक अडं़गेबाजी’ को जिम्मेदार ठहराया. राज्यसभा में विपक्ष द्वारा कार्यवाही बाधित किये जाने के कारण यह विधेयक सदन में पारित नहीं कराया जा सका. संसद के दोनों सदनों के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही मंगलवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगति कर दी गयी.बीमा कानून संशोधन विधेयक 2008 में अन्य बातों के अलावा बीमा कंपनियों में समग्र विदेशी निवेश सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ा कर 49 प्रतिशत करने की बात कही गयी है. 49 प्रतिशत विदेशी निवेश में एफडीआइ (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) तथा विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शामिल है. मंत्री ने संसद के बाहर कहा कि हमें ऐसे कौशल तथा विशेषज्ञता की जरूरत है, जो विदेशी कंपनियों के पास है. इसीलिए हमें वास्तव में विभिन्न विकल्पों पर विचार करना है. हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उत्पाद और सेवाएं (बीमा से संबद्ध) देश के सभी लोगों के लिए उपलब्ध हों. सिन्हा ने कहा कि सरकार ने इस संदर्भ में जो भी संभव था, वह सब किया. चंदन मित्रा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति ने अच्छा काम किया. उन्होंने कहा कि यह इस समय राज्यसभा में पारित होने के लिए पूरी तरह तैयार था, लेकिन राजनीतिक अड़ंगेबाजी के कारण हम विधेयक को पारित नहीं कर पाये.
बीमा क्षेत्र में सुधार के अध्यादेश की संभावना बरकरार
नयी दिल्ली. सरकार ने बीमा क्षेत्र में सुधार को लेकर अध्यादेश लाने की संभावना को खारिज नहीं किया है. वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा से मंगलवार को यहां यह पूछे जाने पर कि हमें सभी संभावनाओं पर विचार करना होगा, क्योंकि वास्तविकता यह है कि देश को बीमा क्षेत्र में और निवेश की जरूरत है. बीमा […]
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