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मकसद है आतंक फैलाना

इसलामिक शासन स्थापित करना तो महज बहाना है डॉ एम एच गजाली वरिष्ठ पत्रकार यदि पाकिस्तानी सत्ता सिर्फ हाल में घटी इस घटना के विरोध स्वरूप सिर्फ कुछ दिनों तक दिखावे की कार्रवाई करती है तो इससे लक्ष्य हासिल नहीं होगा और इसलामिक स्टेट का सब्जबाग दिखाते हुए ये आतंकी भविष्य में भी ऐसी वारदातों […]

इसलामिक शासन स्थापित करना तो महज बहाना है
डॉ एम एच गजाली
वरिष्ठ पत्रकार
यदि पाकिस्तानी सत्ता सिर्फ हाल में घटी इस घटना के विरोध स्वरूप सिर्फ कुछ दिनों तक दिखावे की कार्रवाई करती है तो इससे लक्ष्य हासिल नहीं होगा और इसलामिक स्टेट का सब्जबाग दिखाते हुए ये आतंकी भविष्य में भी ऐसी वारदातों को अंजाम देते रहेंगे.
पाकिस्तान में तालिबान द्वारा बच्चों की निर्मम हत्या को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता.
आतंक का कोई धर्म नहीं होता. वे सिर्फ एक मकसद से संचालित होते हैं- आतंक फैलाना, वो भी उन ताकतों के हाथ में खेलते हुए जो उन्हें आर्थिक मदद देते हैं. आतंकवाद अब एक वैश्विक समस्या बन चुकी है और इसे वैश्विक स्तर पर उन दहशतगर्द समूहों से समर्थन और सहायता मिल रही है, जो दुनिया में अस्थिरता फैलाना चाहते हैं. वे मौका देख कर ऐसी वारदात को अंजाम देकर दुनिया में दहशत फैलाना चाहते हैं, घुसपैठ कराना चाहते हैं. भारत तो वर्षों से आतंकी वारदातों का सामना कर रहा है. पाकिस्तान में भी जब-तब आतंकी वारदातें होती रहती हैं.
तालिबान हो या कोई और आतंकी संगठन, उनका यह दावा सरासर गलत है कि वे इसलामिक राज्य बनाने के लिए आतंकी वारदात कर रहे हैं. इसलाम इस तरह की हिंसा की इजाजत नहीं देता. इसलामिक स्टेट का मतलब यह कदापि नहीं हो सकता कि आप मासूमों की हत्या करें. इसलाम में हर स्तर पर अमन-चैन की शिक्षा दी जाती है. इसलामिक स्टेट का मतलब है इसलाम के नियम, उसके द्वारा बताये गये रास्ते का अनुकरण करना. गरीबों की मदद करना. इसलाम में महिलाओं को भी कई तरह के अधिकार दिये गये हैं. सबके साथ समान व्यवहार करना इसलाम की खूबी है. अगर इसलामिक स्टेट बनाने की मंशा कोई भी रखता है तो उसे इसलाम में बताये हुए रास्ते पर चलना चाहिए, न कि खून खराबा का रास्ता अख्तियार करना चाहिए. खबरें आ रही हैं कि स्कूल में बच्चों की नृशंस हत्या के बाद एक आतंकवादी ने जब अपने कमांडर से पूछा कि ‘हमने ऑडिटोरियम में मौजूद सभी बच्चों को मार दिया है.
अब क्या करें?’ तो उधर से कहा गया कि ‘सेना के लोगों का इंतजार करो, खुद को विस्फोट कर उड़ाने से पहले उन्हें मार डालो.’ अब जिस व्यक्ति की सोच ऐसी हो कि वह हर बात के लिए अपने कमांडरों का आदेश लेता है, और आदेश मिलता है कि खुद को ही उड़ा डालो, तो इससे उनके मंसूबे को समझा जा सकता है कि ये सिर्फ दहशतगर्द हैं, जिनका दीन, ईमान और इसलाम से कोई लेना देना नहीं है. इसलामिक स्टेट तो सिर्फ समर्थन हासिल करने का बहाना है, इनका एक ही मकसद है, अपने अंतरराष्ट्रीय आकाओं के दिशा-निर्देश पर दहशत गर्दी फैलाना.
पाकिस्तान अपने निर्माण के बाद से ही भले ही इसलामिक स्टेट होने की बात कहता रहा हो, परंतु पूरा पाकिस्तान वडेराशाही (जमींदारी व्यवस्था) के तहत ही काम कर रहा है. आज भी कुछ परिवार, जो कि जमींदार परिवार हैं, के हाथ ही सारी शक्तियां केंद्रित हैं. इसलामिक स्टेट तो तब बनेगा जब ये जमींदार अपने अधिकार छोड़ें और सबको समानता के साथ बेहतरी का अधिकार दें.
भारत में जब आतंकी वारदात होती थी और उंगली पाकिस्तान की तरफ उठायी जाती थी तो वह इसे गंभीरता से नहीं लेता था. लेकिन, पेशावर की घटना ने पूरे पाकिस्तान को हिला कर रख दिया है.
अब पाकिस्तान की तरफ से भी यह कहा जा रहा है कि वह आतंकवाद को जड़ से खत्म करेगा. नवाज शरीफ ने इस घटना के बाद जब सभी दलों के नेताओं को एक मंच पर बुलाया, तो सबने आतंक के खिलाफ चिंता जताते हुए इससे मिल जुल कर निपटने की बात कही. खबर आ रही है कि पाक सेना ने 57 आतंकवादियों को मार दिया है. धर-पकड़ की कार्रवाई तेजी से चल रही है. तालिबान निश्चित तौर पर ऐसी कार्रवाई का प्रतिकार करेगा और आनेवाले दिनों में पाकिस्तान में और खून खराबा होगा. हालांकि पाकिस्तानी हुकूमत अगर पूरी तरह से ठान ले कि उसे आतंकवाद को खत्म करना है, तो उन्हें दुनिया के और देशों से भी सहयोग मिलेगा.
लेकिन, यदि पाकिस्तानी सत्ता सिर्फ हाल में घटी इस घटना के विरोध स्वरूप सिर्फ कुछ दिनों तक दिखावे की कार्रवाई करती है तो इससे लक्ष्य हासिल नहीं होगा और इसलामिक स्टेट का सब्जबाग दिखाते हुए ये आतंकी भविष्य में भी ऐसी वारदातों को अंजाम देते रहेंगे.
(बातचीत : संतोष कुमार सिंह)

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