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ईशान कोण में भवन का मुख्य द्वार लाता है समृद्धि

रांची : प्रभात खबर कार्यालय में शुक्रवार को ऑनलाइन वास्तु काउंसलिंग का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में वास्तुविद दुर्गा गुप्ता ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. इस मौके पर उन्होंने वास्तुशास्त्र के अनुसार विभिन्न कोण और उनके महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि जीवन में सफलता तथा घर में शांति के लिए पुरुषार्थ […]

रांची : प्रभात खबर कार्यालय में शुक्रवार को ऑनलाइन वास्तु काउंसलिंग का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में वास्तुविद दुर्गा गुप्ता ने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. इस मौके पर उन्होंने वास्तुशास्त्र के अनुसार विभिन्न कोण और उनके महत्व पर प्रकाश डाला.

उन्होंने बताया कि जीवन में सफलता तथा घर में शांति के लिए पुरुषार्थ और नियति के साथ वास्तु का भी अत्यधिक महत्व है. वास्तु के नियमों के अनुरूप बने घरों में ग्रहों का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. ऐसे घरों में प्राकृतिक ऊर्जा का संचार होता है. उन्होंने बताया कि भवन का मुख्य द्वार वास्तु के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है. मुख्य द्वार का साइज अंदर के द्वार के अपेक्षाकृत बड़ा होना चाहिए. भवन के मुख्य द्वार समेत सभी द्वार ईशान कोण में होने चाहिए.

मकान का द्वार उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. अग्नि मुखी भूखंड पर द्वार पूर्व में, नैऋृत्य मुखी भूखंड में द्वार पश्चिम तथा वायव्य मुखी भूखंड का द्वार उत्तर में होना चाहिए. उत्तर दिशावाले द्वार को कुबेर द्वार कहा जाता है, जो धन देनेवाला होता है. पूर्व के द्वार को विजय द्वार कहा जाता है.

इससे यश प्राप्ति, धन और उन्नति होती है. यह ध्यान रखा जाये कि बाहर का मुख्य द्वार और घर का द्वार दोनों एक ही दिशा में आमने-सामने खुलते हों, तो यह सर्वश्रेष्ठ होता है. इस स्थिति में घर के सदस्यों के जीवन में, अच्छी संतान, धन प्राप्ति, उच्च शिक्षा, बेहतर नौकरी आदि के रूप में सुखमय पल आते हैं. घर के कमरों व मुख्य द्वार के सही स्थान पर होने से तनाव से बचा जा सकता है.

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