नयी दिल्ली : राष्ट्रमंडल खेलों और इंचियोन एशियाई खेलों में रिकार्डतोड़ प्रदर्शन नहीं कर पाने के बावजूद भारतीय निशानेबाजों ने 2014 में सफलताएं हासिल की जिसमें पिस्टल किंग जीतू राय नये सितारे के रूप में उभरे.
अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग और मानवजीत सिंह संधू जैसे नामी गिरामी सितारों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन बीता साल भारतीय निशानेबाजी में जीतू राय के नाम रहा. अयोनिका पॉल, अपूर्वी चंदेला और मोहम्मद असाब जैसे युवाओं ने भी अपनी चमक बिखेरी.
सेना के राय ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी में अपने पहले ही साल में सुर्खियां बंटोरी. विश्व कप में ऐतिहासिक स्वर्ण के बाद ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में रिकार्ड जीत और फिर विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर उसने रियो ओलंपिक 2016 के लिए क्वालीफाई किया.
फिर इंचियोन एशियाई खेलों में भी पीला तमगा अपने नाम किया. इसी सप्ताह उन्होंने पुणे में 58वीं राष्ट्रीय निशानेबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतकर अपनी उपलब्धियों में एक तमगा और जोड़ लिया. एक कैलेंडर वर्ष में किसी भारतीय ने छह अंतरराष्ट्रीय पदक नहीं जीते लेकिन राय ने यह करिश्मा कर दिखाया. उन्होंने इस साल अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी में पदार्पण करके हर स्पर्धा में पदक जीता.
भारतीय निशानेबाज ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में दिल्ली खेलों के प्रदर्शन को दोहरा नहीं सके लेकिन चार स्वर्ण समेत 17 पदक जीते. स्पेन के ग्रेनाडा में हुई विश्व चैंपिनशिप में राय दूसरे स्थान पर रहे और रियो का टिकट कटाया. भारत हालांकि इस चैंपियनशिप से एक ही ओलंपिक कोटा हासिल कर सका.
ओलंपिक में भारत के लिए व्यक्तिगत स्पर्धा का स्वर्ण जीतने वाले एकमात्र निशानेबाज बिंद्रा ने एशियाई खेलों में दो कांस्य जीतने के बाद कहा कि अब वह सिर्फ शौकिया निशानेबाजी करेंगे. उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में राइफल प्रोन में कांस्य पदक जीता. भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ के अध्यक्ष रनिंदर सिंह ने इस वर्ष को कामयाब बताया.
उन्होंने कहा , हमारे लिए यह साल अच्छा रहा. पदकों की संख्या के मामले में हम राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी में अव्वल रहे. विश्व चैंपियनशिप में 10वें स्थान पर रहे और वहां से ओलंपिक का कोटा स्थान हासिल किया. एशियाई खेलों में तीसरे स्थान पर रहे और पहले से अधिक पदक जीते.