नयी दिल्ली : देश में वस्तु एवं सेवाओं (जीएसटी) के लिए एकल कर प्रणाली व्यवस्था शुरु करने के उद्देश्य के साथ सरकार ने कई साल से लंबित जीएसटी विधेयक को आज लोकसभा में पेश कर दिया. इसका मकसद अप्रैल 2016 से एक नयी प्रणाली लागू करना है जिसमें प्रवेश शुल्क (चुंगी) सहित सभी अप्रत्यक्ष कर सम्माहित हो जाएंगे. सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को आजादी के बाद कर व्यवस्था में सबसे बडा सुधार तथा केंद्र व राज्य दोनों के लिए फायदेमंद बताया है.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के लिए 122वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया. लोकसभा में पेश किये जाने से पहले राज्यों की चिंताओं को दूर करने के लिये उनके साथ व्यापक विचार विमर्श भी किया गया. जेटली ने कहा, ‘जीएसटी के लागू होने से साझा व निर्बाध भारतीय बाजार की अवधारणा को बल मिलेगा तथा इससे अर्थव्यवस्था की वृद्धि तेज होने की उम्मीद है.’
जेटली ने कहा कि जीएसटी के लागू होने पर वस्तु व सेवाओं पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य स्तरीय वैट, मनोरंजन शुल्क, चुंगी, प्रवेश शुल्क, क्रय कर, विलासिता कर की जगह जीएसटी की एक ही दर लागू होगी तथा ‘इंस्पेक्टर राज’ के साथ-साथ कर पर कर व्यवस्था की समाप्ति भी सुनिश्चित होगी. उन्होंने कहा, ‘1947 के बाद यह सबसे बडा कर सुधार है.’ शराब को जीएसटी से पूरी तरह बाहर रखा गया है जबकि पेट्रोल व डीजल आदि पेट्रोलियम उत्पाद बाद में इस प्रणाली का हिस्सा बनेंगे.
पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने की तारीख जीएसटी परिषद तय करेगी. इस परिषद में दो तिहाई सदस्य राज्यों के होंगे और सभी फैसलों के लिए 75 प्रतिशत मतों की जरुरत होगी. उन्होंने कहा कि जीएसटी व्यवस्था लागू होने पर राज्यों को होने वाले किसी भी संभावित राजस्व नुकसान का पहले तीन साल तक पूरा 100 प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा, जबकि चौथे साल 75 प्रतिशत व पांचवें साल 50 प्रतिशत राजस्व क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए इस पर चर्चा संसद के फरवरी में शुरु होने वाले बजट सत्र में करवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस विधेयक को फिर से स्थायी समिति के पास भेजने की जरुरत है. पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में रखा गया है पर इन पर जीएसटी की दर शून्य होगी. इसका तात्पर्य है कि राज्य अगले कुछ साल तक इन उत्पादों पर मूल्य वर्धित कर (वैट) और केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगाता रहेगा.
इसके बाद इन उत्पादों पर पूरी तरह जीएसटी व्यवस्था लागू कर दी जाएगी. इसके लिए समय जीएसटी परिषद तय करेगी. इसके अलावा वह राज्य जहां वस्तु पैदा होती है अथवा उसका विनिर्माण होता है, जीएसटी के उपर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगा सकेंगे ताकि पहले दो साल के दौरान किसी भी तरह के राजस्व नुकसान की भरपाई कर सकें. जेटली ने कहा, ‘एक प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क और पांच साल के लिए मुआवजे की व्यवस्था पर्याप्त होगी. हमें नहीं लगता कि राज्यों को राजस्व नुकसान होने जा रहा है.’
केपीएमजी के पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा, ‘सरकार ने जिस तेजी से इस विधेयक को संसद में पेश किया है उससे इस महत्वपूर्ण सुधार के प्रति उसकी गंभीरता दिखती है.’ जीएसटी के कार्यान्वयन से कीमतों पर असर के संबंध में राजस्व सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि कीमतें स्थिर रहेंगी. सामान्य सोच यही है कि जीएसटी लागू होने पर कर के उपर कर नहीं लगेगा. इसका कीमतों पर चक्रीय प्रभाव नहीं होगा. इसलिए यही उम्मीद है कि कुछ समय के बाद कीमतों में स्थिरता आ जाएगी.
यह भी माना जा रहा है कि इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद में बढोतरी होगी. जेटली ने कहा कि केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) संबंधी राज्यों के मुआवजे का पिछला बकाया उन्हें किस्तों में चुकाया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘मेरा इरादा इसकी एक किस्त इसी वित्त वर्ष में चुकाने का है.’ इसके लिए वह बजट सत्र में अनुपूरक अनुदान का प्रस्ताव रखेंगे. उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद का स्वरुप सहयोगपूर्ण संघीय व्यवस्था की अवधारणा को परिलक्षित करता है.
गौरतलब है कि जीएसटी परिषद जीएसटी की दरें और पेट्रोलियम उत्पादों को नयी कर प्रणाली में शामिल करने की समयसीमा आदि के बारे में फैसला करेगी. जीएसटी पर टिप्पणी करते हुए ईवाई के पार्टनर हरिशंकर सुब्रमणियम ने कहा, ‘सबसे बडी चिंता एक प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क है जिसे लगाने की अनुमति राज्यों को दी गयी है.’
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