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जाली जमानत आदेश दाखिल, 21 वर्ष बाद सजा

संवाददाता,रांची सीबीआइ के एसडीजेएम राजकुमार मिश्रा की अदालत ने जाली जमानत आदेश दाखिल कर जमानत लेने के प्रयास के मामले में मो जुबेर व सुकरा मुंडा को सजा सुनाई. दोनों को दो-दो साल की सजा सुनायी गयी. वहीं पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया गया. इस मामले में सीबीआइ के एपीपी सुशील कुमार ने पैरवी की. […]

संवाददाता,रांची सीबीआइ के एसडीजेएम राजकुमार मिश्रा की अदालत ने जाली जमानत आदेश दाखिल कर जमानत लेने के प्रयास के मामले में मो जुबेर व सुकरा मुंडा को सजा सुनाई. दोनों को दो-दो साल की सजा सुनायी गयी. वहीं पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया गया. इस मामले में सीबीआइ के एपीपी सुशील कुमार ने पैरवी की. मामला वर्ष 1993 का है. 21 वर्ष बाद इस मामले में सजा सुनाई गयी. हजारीबाग जेल में बंद मो जुबेर (एसटी-291/91) ने गुल हसन की जमानत की अर्जी को देख कर जाली जमानत आदेश बनाया और पटना उच्च न्यायालय के रांची खंडपीठ में सुनवाई के लिए जमा की थी. पटना उच्च न्यायालय के रांची खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान जाली जमानत आदेश पत्र पकड़ में आया था. सुकरा मुंडा ने उस जमानत अर्जी में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किया था, इसलिए उसे भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में पटना उच्च न्यायालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार जेनरल टीएल वर्मा के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी और वर्ष 1993 में मामले को सीबीआइ को सौंप दिया गया था. उसके बाद मामले की सुनवाई रांची सीबीआइ में शुरू हुई थी.

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