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बेसिक रिसोर्स पर कंट्रोल न होना राज्य के लिए घातक

तसवीर अमित दास देंगे- ‘दी इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स’ पर आयोजित 56वां सम्मेलन में प्रो प्रवीण झा ने कहावरीय संवाददाता, रांचीकिसी भी राज्य का विकास उसके बेसिक रिसोर्स के उपयोग पर ही निर्भर करता है. बेसिक रिसोर्स पर कंट्रोल न होना किसी भी राज्य के लिए घातक हो सकता है. बेरोजगारी को जन्म दे […]

तसवीर अमित दास देंगे- ‘दी इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स’ पर आयोजित 56वां सम्मेलन में प्रो प्रवीण झा ने कहावरीय संवाददाता, रांचीकिसी भी राज्य का विकास उसके बेसिक रिसोर्स के उपयोग पर ही निर्भर करता है. बेसिक रिसोर्स पर कंट्रोल न होना किसी भी राज्य के लिए घातक हो सकता है. बेरोजगारी को जन्म दे सकता है. झारखंड में बेशक विकास हुआ है, पर यहां के ट्राइबल को विशेष लाभ नहीं हुआ. उनके लिए शर्तें ऐसी रहीं कि उन्हें फायदा नहीं मिल सका. झारखंड रिसोर्स के मामले में अन्य राज्यों से समृद्ध है. यह कहना है जवाहर लाल नेहरू विवि के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर प्रवीण झा का. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि बेरोजगारी को दूर करने के क्या उपाय हो सकते हैं, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. रोजगार के अवसर कैसे खुले, ये तय करना होगा. प्रो झा ने कहा कि जंगलों में रहनेवाले लोगों को आज भी सुविधा नहीं मिलती है. गांवों में कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पढ़ाई की है, पर उन्हें एक नौकरी तक नहीं मिलती.जहां तक मंदी की बात है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में हमारा ग्रोथ रेट खराब नहीं है. लेकिन सवाल यह है कि ग्रोथ में क्या डाटा है रोजगार की क्या स्थिति है? अगर हम आंकड़े पर गौर करें, तो यह चिंताजनक है. मंदी को आजीविका से जोड़ कर देखना चाहिए. अगर ग्रोथ रेट कम है और रोजगार मिल रहे हैं, तो मंदी की समस्या नहीं है. वहीं ग्रोथ की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं होता है, ऐसे में रोजगार में परेशानी हो सकती है. इस दिशा में मंदी और रोजगार को जोड़ कर देखना चाहिए.

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