गूंजने लगे टुसू के गीतसिल्ली. अगहन संक्रांति के मौके पर बुधवार को सिल्ली में स्वर्णरेखा नदी के हलमाद घाट पर टुसू की स्थापना की गयी़ इस मौके पर रथू महतो, बासुदेव महतो, श्रीकांत महतो, परेष नाथ महतो व देवंेद्र नाथ महतो सहित अन्य उपस्थित थे़ कैसे हुई स्थापना : अगहन संक्रांति के मौके पर गोधुली बेला में किसानों ने खेत से धान की बाली के नौ गुच्छे को घर लेकर आये़ इसके बाद कुंवारी लड़कियों ने महिलाओं, बुद्घिजीवियों व ग्राम प्रबुद्घ लोगों के साथ मिल कर परंपरागत तरीके से घर मंे टुसू की स्थापना की़ ज्ञात हो कि अगहन संक्रांति के दिन से ही टुसू पर्व की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. मकर संक्रांति के दिन तक यहां प्रतिदिन आरती की जायेगी. एक महीने तक टुसू के पास कुंवारी लड़कियां व महिलाएं टुसू गीत के बीच नृत्य करेंगी. मकर संक्रांति के दिन नदी व जलाशयों में टुसू को विसर्जित करने के साथ ही पर्व का समापन होगा. पुस्तक का विमोचन : प्रो श्रीकांत महतो द्वारा संपादित पुस्तक डीनी नामक पुस्तक का बुधवार को कुंवारी कन्याओं व बुद्घिजीवियों ने विमोचन किया़ पुस्तक में लोक संस्कृति व टुसू की लोक कथा की विस्तृत जानकारी दी गयी है़मेला लगाने का निर्णय. स्थानीय लोगों ने श्याम नगर घाट पर मकर संक्रांति के दिन मेला लगाने का निर्णय लिया है. इस संबंध में प्रो श्रीकांत महतो ने बताया कि इस स्थान पर पहले भी मेला लगता था, लेकिन कुछ वर्षों से मेला का आयोजन नहीं हो रहा था.
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विधि विधान से टुसू की स्थापना की गयी
गूंजने लगे टुसू के गीतसिल्ली. अगहन संक्रांति के मौके पर बुधवार को सिल्ली में स्वर्णरेखा नदी के हलमाद घाट पर टुसू की स्थापना की गयी़ इस मौके पर रथू महतो, बासुदेव महतो, श्रीकांत महतो, परेष नाथ महतो व देवंेद्र नाथ महतो सहित अन्य उपस्थित थे़ कैसे हुई स्थापना : अगहन संक्रांति के मौके पर गोधुली […]
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