आंकड़े बताते हैं कि भारत के 65 मिलियन लोग डायबिटीज रोग से पीड़ित हैं. मधुमेह रोग एक तरह से साइलेंस किलर है और इसके बारे में फैली मिथकों से यह और ज्यादा खतरनाक हो सकता है. आइये जानें कुछ ऐसी ही मिथकों और तथ्यों के बारे में
1. ज्यादा मीठा खाने से हो सकता है
विशेषज्ञ बताते हैं कि ज्यादा मीठा या चीनी खाने से डायबिटीज नहीं होता है. अस्सर लोग यह समझ बैठते हैं कि ज्यादा मीठा या चीनी खाने से वो डायबिटीज के शिकार हो जाएंगे. लेकिन सच्चाई यह है कि डायबिटीज तब होता है जब शरीर में भोजन को ऊर्जा में बदलने की क्षमता कम हो जाती है. आप जो भी भोजन लेते हैं शरीर में वह ग्लूकोज में बदल जाता है. जो कि कोशिकाओं में शक्ति प्रदान करता है. ग्लूकोज एक तरह की शुगर ही है.
2. कड़वी चीजों के संबंध में
बहुत से लोग सोचते हैं कि कड़वी चीजें खाने से सुगर का लेवल कम होता है. लेकिन सच्चाई ये है कि करेला में ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है और शरीर में हाई लेवल कार्बोहाइड्रेट से से ही शुगर बनता है. इसलिए नीम और करेला भले ही स्वाद में कड़वे होते हैं लेकिन इन से रक्त में शुगर लेवल की मात्रा नहीं घटती है.
3. फल के संबंध में
लोगों में ये भ्रान्तियां हैं कि डायबिटीज के मरीजों को फल भी नहीं खाने चाहिए. जबकि तथ्य है कि डायबिटीज ते मरीज फल भी ले सकते हैं इससे शुगर लेवल नहीं बढता है क्योंकि फलों में फाइबर और फ्रक्टोज पाया जाता है. हालांकि फ्रूट जूस नहीं ही लिया जाना चाहिए क्योंकि इनमें फाइबर नहीं होता है.
4. कृत्रिम चीनी
इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि सभी तरह की आर्टिफीशियल स्वीटनर (कृत्रिम चीनी) डायबिटीज मरीजों के लिए सुरक्षित हैं. सच्चाई ये है कि कृत्रिम चीनी हमेशा सुरक्षित नहीं होती है. ये सामान्य चीनी से ज्यादा मीठी होती है इसिलए आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि उतने ही मीठे के लिए कृत्रिन चीनी की मात्रा कम करनी होगी. इस तरह के प्रयोग करने जा रहे हैं तो आप डॉक्टर से परामर्श ले लें.
5. एल्कोहल
यह भी एक मिथक ही है कि डायबिटीज के मरीज एल्कोहल नहीं ले सकते. डायबटीज के मरीजों को एल्कोहल से बचने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि ज्यादा मात्रा में एल्कोहल से हानिकारक हो सकता है. जबकि सच्चाई ये है कि सीमित मात्रा में एल्कोहल लेना नुकसानदायक नहीं हो सकता. हफ्ते में एक बार 30 एमएल एल्कोहल लेना डा़यबिटीज के मरीजों को नुकसान नहीं करता है.
6.बाहर का खाना
डायबि़टीज के मरीजों को बाहर खाने से बचने की सलाह सबसे ज्यादा दी जाती है. जबकि सच्चाई ये है कि बाहर का खाना हमेशा नुकसान नहीं करता है. अगर खाना अच्छे रेस्तरां का हो और हाइजेनिक तरीके बनाया गया हो तो आप बाहर के खाने का आनंद भी ले सकते हैं.
7. चावल
अक्सर कहते हु्ए सुना जाता है कि डायबिटीज के मरीजों को चावल को आहार में शामिल नहीं करना चाहिए. जबकि विशेषज्ञ बताते हैं कि डाडबिटीज रोगी आहार में चावल तो शामिल कर सकते हैं लेकिन चावल नियत मात्रा में ही लिया जाना चाहिए. चावल की मात्रा क्या हो यह डाटबिटीज के लेवन पर निर्भर करता है.
8. बेरिएट्रिक सर्जरी
मिथक है कि डायबिटीज के मरीजों को बेरिएट्रिक सर्जरी की जरूरत नहीं है. जबकि सच्चाई ये है कि बेरिएट्रिक सर्जरी वजन बढने पर, बीपी, जोड़ों के दर्द, अनियमित पीरियड, सांस संबंधी दिक्कतें जैसे अस्थमा जैसे रोगियों की जाती है. लोगों में इसकी स्वीकृति बढ रही है.
9. वजन घटाना
डायबिटीज के मरीजों को अक्सर वजन कम करने की सलाह दी जाती है. जबकि सच्चाई ये है कि मोटापा और डायबटीज एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. मोटे लोगों को हर महीने दो किलो वजन कम करने की सलाह दी जाती है. जबकि आहार संबंधी आदतों से तुरंत वजन घटाना सही नहीं है.
10. उम्र के संबंध में
मिथक-मिथक है कि मधुमेह चालीस की उम्र के बाद ही होता है. जबकि सच्चाई यह है कि यह ब्च्चों में या वयस्कों को भी हो सकता है. रोग किसी भी उम्र में हो सकता है. कई बार यदि माता-पिता इससे भी पिछली पीढी को डायबि़टीज हो तो बच्चों में इस रोग को होने की संभावना बढ जाती है.