नयी दिल्ली : नये साल की शुरुआत से देश भर में एलपीजी ग्राहकों को नकद सब्सिडी उनके बैंक खातों में मिलेगी ताकि वे रसोई गैंस सिलेंडर बाजार भाव पर खरीद सके.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने एलपीजी के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना शुरु करने की तैयारी की समीक्षा की. उन्होंने ग्राहकों को होने वाली समस्या का जायजा लेने के लिये स्वयं एक परेशान ग्राहक को कॉल किया और उसकी समस्या को जाना. एलपीजी सब्सिडी प्रत्यक्ष नकद अंतरण योजना का नाम ‘पहल’ रखा गया है.
पूर्व संप्रग सरकार ने जून 2013 में इस योजना की शुरुआत की लेकिन अदालती आदेशों के मद्देनजर इसे एकाएक रोक दिया गया. इस महत्वकांक्षी योजना में नकद सब्सिडी के लिये विशिष्ट पहचान संख्या :आधार: की जरुरत को हटाने के लिये इसे संशोधित किया गया. योजना को 15 नवंबर से 54 जिलों में शुरु किया गया और एक जनवरी 2015 से इसे देश भर में शुरु किया जाएगा.
मंत्रालय तथा तीनों तेल विपणन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में उन्होंने बैठक में ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट माई एलपीजी डाट इन’ को हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में शुरु किये जाने का निर्देश दिया. उन्होंने समीक्षा में कहा, ‘‘काम युद्ध स्तर पर करने की जरुरत है.’’ प्रधान ने अपने मोबाइल फोन से लुधियाना के एक ढिल्लों नाम के व्यक्ति को कॉल किया. उन्होंने मंत्रालय की वेबसाइट पर नकद सब्सिडी नहीं मिलने की शिकायत की थी. उसके बाद उन्होंने बुकिंग और डिलीवरी स्थिति के साथ नकद अंतरण की औचक जांच पडताल की.
धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि ‘पहल’ या प्रत्यक्ष हस्तांरित लाभ एक जनवरी से सभी जिलों में लागू किया जाएगा. योजना के तहत एलपीजी ग्राहकों को नकद सब्सिडी उनके बैंक खातों में डाली जाएगी, इसके बाद वह रसोई गैस सिलेंडर बाजार मूल्य पर खरीद सकेंगे.
योजना से जुडने के बाद जैसे ही ग्राहक पहली बुकिंग कराएगा, उसके बैंक खाते में नकद राशि हस्तांतरित कर दी जाएगी. राशि बाजार भाव तथा सब्सिडीयुक्त दर का अंतर है. जैसे ही ग्राहक को सिलेंडर की डिलीवरी होती है, अग्रिम नकद सब्सिडी उसके खाते में डाल दी जाएगी. डीबीटी :प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना: का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सब्सिडी का लाभ सही लोगों को मिले. सरकार को सब्सिडी का दुरुपयोग रोककर 10,000 करोड रुपये की बचत की उम्मीद है.