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सारधा मामलाः ममता के कड़े तेवर, तृणमूल के प्रदर्शन से आतंकित सीबीआइ के अधिकारी

राज्य के परिवहन और खेल मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी के बाद तृणमूल सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आह्वान पर शनिवार को तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने जगह-जगह जोरदार प्रदर्शन किया. इन प्रदर्शनों के दौरान पत्रकार और जांच करने वाले अधिकारी भी धक्का-मुक्की के शिकार हुए. खास कर अलीपुर अदालत में मदन मित्रा को […]

राज्य के परिवहन और खेल मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी के बाद तृणमूल सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आह्वान पर शनिवार को तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने जगह-जगह जोरदार प्रदर्शन किया. इन प्रदर्शनों के दौरान पत्रकार और जांच करने वाले अधिकारी भी धक्का-मुक्की के शिकार हुए. खास कर अलीपुर अदालत में मदन मित्रा को पेश किये जाने के पहले जिस तरह का माहौल बना, वह सुरक्षा अधिकारियों के नियंत्रण के बाहर हो चला था.

सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारी और अधिकारी तृणमूल समर्थकों के उग्र रूप देख कर बेबश नजर आ रहे थे. ऐसा महसूस हो रहा था कि अगले ही क्षण कुछ भी हो सकता है. इस हालात में मामले की जांच कर रहे सीबीआइ अधिकारी अपने को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मामले की जांच कर रहे अधिकारी इस मामले को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने की सिफारिश लेकर सुप्रीम कोर्ट में जा सकते हैं.

विरोध प्रदर्शनों का मुख्यमंत्री ने किया नेतृत्व
सारधा चिटफंड घोटाला मामले में परिवहन व खेल मंत्री मदन मित्रा की शुक्रवार को हुई गिरफ्तारी के बाद शनिवार को तृणमूल कांग्रेस समर्थक सड़क पर उतर आये. पार्टी की ओर से राज्यभर में विरोध प्रदर्शन किया गया. कहीं पथावरोध, तो कहीं जबरन दुकानें बंद करायी गयीं. ट्रेनें रोकी गयीं. जुलूस निकाले गये. इन प्रदर्शनों से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. इडेन गार्डेस स्टेडियम के पास गोष्ठो पाल मूर्ति के सामने हुई विरोध सभा में खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौजूद रहीं. इससे बेहद व्यस्त रहने वाला धर्मतल्ला का इलाका थम सा गया. उधर, भारी गहमागहमी के बीच, मदन मित्रा अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया
अदालत ने उन्हें 16 दिसंबर तक केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की हिरासत में भेज दिया. गौरतलब है कि मदन मित्रा को सारधा चिटफंड घोटाले के मामले में सीबीआइ ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया था.अलीपुर कोर्ट के बाहर हंगामा: तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने जुलूस निकाल कर, सड़कें जाम करके और भाजपा नेताओं के पुतले जला कर मित्रा की गिरफ्तारी की निंदा की और प्रदेश भर में प्रदर्शन शुरू कर दिया. राज्य के कई हिस्सों से प्रदर्शन, सड़कें अवरुद्ध करने और रेल मागोर्ं पर लोगों के जमा होने की खबरें आयीं. दक्षिण कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने बेल्वेडियर रोड को भी जाम कर दिया. अदालत परिसर में किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी.
प्रदर्शनकारी गोपालनगर क्रासिंग से अलीपुर थाने तक जाने वाली सड़क के एक किनारे मित्रा का इंतजार करते देखे गये. तृणमूल समर्थक हाथों में पोस्टर लिये केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे और मदन मित्रा की गिरफ्तारी को गहरी साजिश करार दे रहे थे. मदन को लेकर जा रहे वाहन पर कुछ समर्थकों ने फूल भी बरसाये. बड़ी संख्या में पार्टी समर्थक और कार्यकर्ता सॉल्टलेक में सीजीओ कांप्लेक्स के सामने भी एकत्रित हो गये जहां से मदन को अदालत ले जाया गया. भवानीपुर में मदन मित्रा के आवासीय क्षेत्र में और उनके विधानसभा क्षेत्र कमरहाटी में भी जुलूस निकाले गये और घंटे भर तक सड़कें जाम होने से लोगों को असुविधा हुई. दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी बंद कराया गया. आरोप है कि जगू बाबू बाजार में तृणमूल कार्यकर्ताओं ने जबरन दुकानों को बंद कराया. व्यापारियों को यह नहीं पता है कि दुकानों को खोलने की इजाजत कब मिलेगी.
ट्रेन सेवाएं भी बाधित: पूर्व रेलवे के सूत्रों ने कहा कि सुबह प्रदर्शनकारियों ने बारासात-हासनाबाद रेल खंड के भसीला रोड पर और बंडेल-कटवा सेक्शन पर पूर्वस्थली में रेल पटरियों को अवरुद्ध कर दिया. सुबह व्यस्त समय में ट्रेन सेवा बाधित हुई. लेकिन आरपीएफ और स्थानीय पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ट्रेन सेवा बहाल कर दी गयी. बारासात के डाक बंगला मोड़ पर भी अवरोध किया गया.
शनिवार को अलीपुर कोर्ट के बाहर सारधा मामले में परिवहन मंत्री मदन मित्रा की पेशी के दौरान अफरा-तफरी का माहौल रहा. तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने अदालत के बाहर सुरक्षा के लिए लगाये गये बैरिकेडिंग को तोड़ दिया. तृणमूल समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा था. धक्का-मुक्की और अफरा-तफरी के माहौल के बीच मदन मित्रा (इंसेट में दायें) को अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें 16 दिसंतर तक सीबीआइ हिरासत में भेज दिया.
फिर बेलगाम हुई सीएम की जुबान
सारधा मामले में परिवहन मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी के बाद तिलमिलायी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार व भाजपा पर तीखा हमला किया. शनिवार को परिवहन मंत्री के समर्थन में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में रैली निकाली गयी. ममता ने कहा, ‘कौन हरिदास पाल है, वह उसे नहीं पहचानती. अगर हिम्मत है तो कोई उनको बंबू (बांस) करके दिखाये तो वह बता देंगी कि उनकी क्या ताकत है.’ उन्होंने कहा कि राजनीतिक साजिश के तहत उनके मंत्री को इसमें फंसाया गया है. केंद्र सरकार सीबीआइ को हथियार के रूप में प्रयोग कर रही है और उनकी पार्टी को बदनाम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि परिवहन मंत्री की गिरफ्तारी का मुद्दा अब संसद में भी उठाया जायेगा और सोमवार से संसद में तृणमूल कांग्रेस के सांसद विरोध करेंगे.
मदन को सीबीआइ हिरासत में भेजा
कोलकाता. अलीपुर कोर्ट ने परिवहन मंत्री मदन मित्रा को शनिवार को 16 दिसंबर तक चार दिन के लिए सीबीआइ की हिरासत में भेज दिया. मित्रा को सारधा घोटाले के सिलसिले में शुक्रवार को सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था. मित्रा को अलीपुर के सीजेएम (प्रभारी) किंगशुक साधुखान की अदालत में पेश किया गया.
पत्रकारों पर हमले के लिए कर्मियों को उकसाया
अलीपुर कोर्ट में शनिवार को मदन मित्रा की पेशी के दौरान तृणमूल कांग्रेस ने पत्रकारों को निशाना बनाया. पत्रकारों को न सिर्फ उन्हें अपना काम करने से रोकने की कोशिश की गयी, बल्कि उनके साथ जमकर धक्का-मुक्की की गयी. तृणमूल नेताओं ने पार्टी कर्मियों को पत्रकारों पर हमला करने के लिए उकसाया.
तृणमूल समर्थकों का कहना था कि मदन मित्रा की अदालत परिसर में तसवीर नहीं ली जा सकती. वे लोग तसवीर लेने नहीं देंगे. प्रतिवाद करने पर पत्रकारों से धक्का-मुक्की की गयी. तृणमूल कार्यकर्ताओं को मीडिया को अपशब्द कहते हुए भी सुना गया. उनका कहना था कि मीडिया तृणमूल के खिलाफ जानबूझ कर दुष्प्रचार कर रही है. जिस गाड़ी में मदन मित्रा थे, सीबीआइ की उस गाड़ी को भी रोकने की कोशिश तृणमूल कार्यकर्ताओं ने की.
राज्य के परिवहन और खेल मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी के बाद तृणमूल सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आह्वान पर शनिवार को तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने जगह-जगह जोरदार प्रदर्शन किया. इन प्रदर्शनों के दौरान पत्रकार और जांच करने वाले अधिकारी भी धक्का-मुक्की के शिकार हुए.
खास कर अलीपुर अदालत में मदन मित्रा को पेश किये जाने के पहले जिस तरह का माहौल बना, वह सुरक्षा अधिकारियों के नियंत्रण के बाहर हो चला था. सुरक्षा के लिए तैनात कर्मचारी और अधिकारी तृणमूल समर्थकों के उग्र रूप देख कर वेवश नजर आ रहे थे. ऐसा महसूस हो रहा था कि अगले ही क्षण कुछ भी हो सकता है. इस हालात में मामले की जांच कर रहे सीबीआइ अधिकारी अपने को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मामले की जांच कर रहे अधिकारी इस मामले को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने की सिफारिश लेकर सुप्रीम कोर्ट में जा सकते हैं.

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