7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

धर्म परिवर्तन नहीं, मर्म-परिवर्तन करिये!

।।वेदप्रताप वैदिक।। वरिष्ठ पत्रकार भय और प्रलोभन से होनेवाले धर्मातरण पर प्रतिबंध सर्वथा स्वागत योग्य है, लेकिन क्या यह मान कर चलना ठीक है कि सारे धर्मातरण भय और प्रलोभन से ही हुए हैं. यह ठीक है कि मुहम्मद के पास तलवार थी, लेकिन बुद्ध के पास क्या था, महावीर, ईसा, नानक, दयानंद के पास […]

।।वेदप्रताप वैदिक।।
वरिष्ठ पत्रकार

भय और प्रलोभन से होनेवाले धर्मातरण पर प्रतिबंध सर्वथा स्वागत योग्य है, लेकिन क्या यह मान कर चलना ठीक है कि सारे धर्मातरण भय और प्रलोभन से ही हुए हैं. यह ठीक है कि मुहम्मद के पास तलवार थी, लेकिन बुद्ध के पास क्या था, महावीर, ईसा, नानक, दयानंद के पास क्या था? धर्मातरण के इन महान पुरोधाओं के पास न तलवार थी और न तिजोरी थी. केवल उजाला था, तर्क का, उद्धार का नया रास्ता था. मुहम्मद ने भी अज्ञानलोक (जाहिलिया) में पड़े अरबों को नयी और जबर्दस्त रोशनी दी.
आदमी जब से पैदा हुआ है, उसे रोशनी की तलाश है. तलाश का यह वेग उतना ही प्रबल है, जितना कि भय और प्रलोभन का! रोशनी की तलाश ने भय और प्रलोभन को इतिहास में कई बार जबर्दस्त मात दी है. यह ठीक है कि दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत पूरी तरह ईसाइयत और इसलाम की गिरफ्त में नहीं चला गया, लेकिन यह भी नग्न सत्य है कि भारत का सामाजिक परिदृश्य काल-कोठरियों की तरह दमघोटू है. जातिवाद, अस्पृश्यता और दरिद्रता की इन काल-कोठरियों से मुक्त होने की चाह में अगर लोग इसलाम, ईसाइयत और बौद्ध धर्म की शरण में जाते हैं तो उन्हें कौन रोक सकता है? समाज उन्हें ठेलेगा और राज्य उन्हें रोकेगा, तो राज्य को मुंह की खानी पड़ेगी. यदि धर्मातरण संबंधी कानूनों का लक्ष्य उक्त सामाजिक जड़ता को बनाये रखना है, तो उससे अधिक प्रतिगामी कदम क्या हो सकता है.
जातिवाद और अस्पृश्यता पर प्रहार किये बिना मुसलमानों और ईसाइयों को दोबारा हिंदू बनाने की कोशिश उतनी ही अधार्मिक और अमानवीय है, जितनी कि मुल्लाओं और पादरियों की कोशिशें. याद रहे कि हिंदू धर्म में लौटने के दरवाजे खोलनेवाले 19वीं सदी के महानायक महर्षि दयानंद ने जन्मना जाति को पूरी तरह रद्द किया था.
भारत के दलितों, आदिवासियों और गरीबों का दुर्भाग्य यह है कि धर्म परिवर्तन के बावजूद उनका मर्म-परिवर्तन नहीं होता. वे किसी भी संगठित धर्म में जा घुसें, उनकी मूल स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहती है. ऐसे में धर्म-परिवर्तन भी मृग-मरीचिका ही सिद्ध होता है. भारत का उद्धार धर्म-परिवर्तन से नहीं, मर्म-परिवर्तन से होगा.
(राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘भाजपा, हिंदुत्व और मुसलमान’ पुस्तक का अंश / साभार)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें