अंगरेजों के जमाने में बनाया गया था आवासशहर के डाक घर चौक पर बना था घरफोटो नु-7- भूत बंगले में तब्दील हुआ अफसरों के आशियानेसंवाददाता, गोपालगंजकरीब 107 साल पहले पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर के लिए बना मकान खंडहर में तब्दील चुका है. फिलहाल यहां कोई नहीं रहता है. शहर के डाक घर चौक पर बना यह मकान असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. चारों तरफ फैली गंदगी विभागीय उदासीनता को दरसा रही है. इसके प्रति विभागीय अफसर आंखें मूंदे हुए हैं. इस मकान में वर्ष 2007 तक सदर इंस्पेक्टर रहते थे. उसके बाद अफसरों के नहीं रहने के कारण सभी कमरे खाली पड़े हैं. नतीजतन मकान जर्जर हालत में पहुंच गया है. अफसरों के न रहने का बहानाविभाग से जुडे अफसर का कहना है कि विभाग की ओर से अफसरों को हाउस रेंट के तौर पर करीब 8 से 10 हजार मासिक खर्चा मिलता है. यदि वह विभाग की ओर से आवंटित मकान में रहते हैं तो इन्हें यह मासिक खर्चा नहीं मिलता. इसीलिए अफसर सस्ते रेट में किराए पर रहना पसंद करते हैं और बची राशि को अपनी आमदनी में जोड लेते हैं.यह है मकानों की वर्तमान स्थितिमकानों में खरपतवार और कंटीली झाडियां छत से उपर निकल गई हैं. दरवाजे, ताले, टोंटी, जाली आदि सभी सामान चोरी कर लिया गया है. चौबीस घंटे पानी टोंटी न होने के कारण फिजूल बहता रहता है. सांप, कुत्ते आदि जानवरों ने यहां अपना बसेरा बना लिया है. दिन-रात असामाजिक तत्वों का जमावडा लगा रहता है. क्या कहते है अधिकारी”इंस्पेक्टर के जिस आवास की बात कर रहे वह खंड़हर में बदल गया है.वहां रहना बेहद ही खतरनाक है. छत उपर का हे ही नहीं ”एम पी सिंह,इंस्पेक्टर,ग्रामीण गोपालगंज
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इंस्पेक्टर के लिए बना मकान हुआ खंडहर
अंगरेजों के जमाने में बनाया गया था आवासशहर के डाक घर चौक पर बना था घरफोटो नु-7- भूत बंगले में तब्दील हुआ अफसरों के आशियानेसंवाददाता, गोपालगंजकरीब 107 साल पहले पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर के लिए बना मकान खंडहर में तब्दील चुका है. फिलहाल यहां कोई नहीं रहता है. शहर के डाक घर चौक पर बना […]
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