दक्षा वैदकर
स्मार्ट फोन ने हमें आज इतना स्मार्ट बना दिया है कि हम हर काम चंद सेकेंड्स में कर लेते हैं. फोटो खींचना, वीडियो बनाना तो हमारे बायें हाथ का खेल है. अच्छा फोटो हो, वीडियो हो, तो सभी को खुशी भी होती है. लेकिन कई बार हम इससे दूसरों को दुख पहुंचाते हैं. कोई संघर्ष कर रहा होता है और हम उसका वीडियो बनाते हैं, उसके फोटोज खींचते हैं.
हम सोचते हैं कि हमारा वीडियो व्हॉट्सएप्प या यूट्यूब पर फेमस हो जायेगा. मैं लोगों को कहूंगा कि इस घटना के वक्त मैं वहां मौजूद था. हम फेसबुक पर डालने के लिए फोटो पहले खींचते हैं, लेकिन मदद नहीं करते. आज ये बातें इसलिए क्योंकि व्हॉट्सएप्प पर इन दिनों ऐसे वीडियोज व फोटोज की भरमार लगी हुई है. इसमें दिल दहला देने वाली घटनाओं को लोगों ने वहां मौजूद रह कर अपने मोबाइल में कैद किया है, लेकिन किसी ने कोशिश नहीं की है कि मोबाइल जेब में रख कर पीड़ित की मदद करें.
इंदौर की विदुला कर्पे ने मुङो एक वीडियो भेजा और बताया कि यह वीडियो उनके व्हॉट्सएप्प पर आया. यह घटना एक दिन पहले की है, जिसमें बस के नीचे एक महिला आ गयी. कुछ देर तड़पने के बाद उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. वहां खड़ी भीड़ ने बस के साथ तोड़-फोड़ की, तमाशा देखा, फोटो खींचे और वीडियो बना कर शेयर किया. महिला की मदद किसी ने नहीं की. एक अन्य सज्जन ने बताया कि वे परिवार के साथ एक पार्क में घूमने गये. वहां बने मधुमक्खी के छत्ते को युवाओं ने छेड़ दिया, जिससे मधुमक्खियां पूरे पार्क में फैल गयीं और लोगों को काटने लगीं. बड़े लोग तो तुरंत भाग गये, लेकिन एक-दो बच्चे भाग नहीं पाये. मधुमक्खियां उन्हें काटती रहीं और बच्चे चिल्लाते रहे. लोग भाग कर गाड़ियों मैं बैठ गये और गाड़ियों के कांच लगा कर उन बच्चों के वीडियो बनाने लगे. बहुत देर बाद एक सज्जन लोहे के बर्तन में जलती हुई लकड़ियां लेकर आये और धुएं से उन मधुमक्खियों को हटाया. बच्चों को कंबल से ढका, ताकि वे बच सकें. हालांकि, तब तक बच्चों की हालत बहुत नाजुक हो चुकी थी.
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बात पते की..
जब भी किसी को तकलीफ में देखें, पहले मदद करें. वीडियो भले ही आपको चंद लाइक्स दिला देगा, लेकिन मदद किसी की जिंदगी बचायेगी.
आज आप किसी दुखी इनसान का वीडियो बनायेंगे, तो कल कोई आपका वीडियो बनायेगा, शेयर करेगा. खुद को दूसरों की जगह रख कर देखें.