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31 जनवरी तक टला बीसीसीआई चुनाव

नयी दिल्ली : आईपीएल प्रकरण पर सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव आज जनवरी के अंत तक स्थगित कर दिया है. इस बीच, बोर्ड ने मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित दंड के लिये उच्चाधिकार समिति गठित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है. […]

नयी दिल्ली : आईपीएल प्रकरण पर सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव आज जनवरी के अंत तक स्थगित कर दिया है. इस बीच, बोर्ड ने मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित दंड के लिये उच्चाधिकार समिति गठित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है.

न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह भी सवाल किया कि क्या गुरुनाथ मय्यपन और राज कुन्द्रा के खिलाफ कार्रवाई से चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रायल्स की टीमें रद्द नहीं हो जानी चाहिए. न्यायाधीशों ने दिन भर की सुनवाई के अंत में कहा, हम अब भी सुनवाई की प्रक्रिया में है जिसे पूरा होने में कुछ वक्त लगेगा. इसके साथ ही न्यायालय ने बीसीसीआई के पदाधिकारियों के चुनाव के लिये 17 दिसंबर को बोर्ड की वार्षिक आम सभा की बैठक 31 जनवरी, 2015 तक के लिये स्थगित करने का निर्देश दिया.

न्यायालय ने कहा कि आईपीएल-6 में सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग के मामले में बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के हितों के टकराव सहित कई मुद्दों का फैसला करने में वक्त लगेगा. श्रीनिवासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि चूंकि इस मामले की सुनवाई 17 दिसंबर तक पूरी होने की उम्मीद नहीं हैं, इसलिए बोर्ड के पदाधिकारियों का चुनाव स्थगित करना होगा. न्यायालय ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुये चुनाव स्थगित करने का निर्देश दिया.
बीसीसीआई के वकील ने कहा कि चुनाव कराने के लिये बोर्ड को तीन सप्ताह का नोटिस देना होता है. अभी तक वार्षिक आम सभा की बैठक तीन बार स्थगित हो चुकी है. पहले यह बैठक 26 सितंबर से 20 नवंबर और फिर 17 दिसंबर के लिये स्थगित की गयी थी.
मुद्गल समिति की रिपोर्ट के आधार पर श्रीनिवासन के हितों के टकराव के मुद्दे पर गौर करने के लिये उच्चाधिकार समिति गठित करने के प्रस्ताव का बीसीसीआई के वकील सी ए सुन्दरम ने विरोध किया. उनका कहना था कि इससे बोर्ड की स्वायत्ता प्रभावित होगी और इस संबंध में कोई भी निर्णय, यदि आवश्यक हो, बोर्ड के संचालक मंडल को ही लेना चाहिए.
आज की सुनवाई के दौरान पहली बार श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मय्यपन आये जिन्हें इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने का मौका मिला. मय्यपन को मुद्गल समिति ने आईपीएल में सट्टेबाजी के लिये दोषी पाया है. मय्यपन ने कहा कि वह इस बात का खुलासा नहीं करना चाहेंगे कि क्या वह सीएसके टीम के अधिकारी हैं या नहीं क्योंकि इस तरह का खुलासा निचली अदालत में उनके मुकदमे को प्रभावित कर सकता है.
मय्यपन के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, मुझे खामोश रहने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि मय्यपन पर मुकदमा चल रहा है और यह सवाल वहां भी उठेगा. इस मुद्दे पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायालय ने टिप्पणी की कि आपने बीसीसीआई और सीएसके की मालिक इंडिया सीमेन्ट्स लि द्वारा आपको टीम का अधिकारी स्वीकार किये जाने के बाद यह दृष्टिकोण अपनाया है. अभी भी आप कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.
लूथरा ने कहा कि मुद्गल समिति ने मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी और जांच के दौरान सीआरपीसी की धारा 161 के तहत गवाहों के दर्ज बयानों पर भरोसा किया है. उनका कहना था कि समिति द्वारा अप्रमाणित सामग्री पर भरोसा करने से उनका मामला प्रभावित होगा.
मुद्गल समिति के निष्कर्षो के आधार पर न्यायालय की कई टिप्पणियों के बाद मय्यपन ने इस बात का खुलासा करने से इंकार किया कि वह टीम के अधिकारी हैं या नहीं. न्यायाधीशों ने कहा, हम आपको यह कहने के लिये बाध्य नहीं कर रहे हैं कि क्या आप टीम के अधिकारी हैं या नहीं. हालांकि मुद्गल समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आप टीम के अधिकारी हैं और आप अभी निलंबित हैं. यदि आप टीम के अधिकारी नहीं है तो फिर निलंबन का कोई मतलब नहीं है. आप अब भी स्टेडियम में प्रवेश करना चाहते हैं लेकिन किस हैसियत से.
न्यायाधीशों ने टिप्पणी की, क्या आपको स्टेडियम में प्रवेश करने से रोका गया है. क्या आप टिकट खरीदकर स्टेडियम में जा सकते हैं. आपकी दावेदारी यही है कि आप स्टेडियम में प्रवेश करना चाहते हैं. जब राजस्थान रायल्स की ओर से दलील दी जा रही थी तो न्यायाधीशों ने टिप्पणी की, आपकी स्थिति भी कमोबेश इंडिया सीमेन्ट्स लि, जैसी ही है. वहां मय्यपन, जो टीम के अधिकारी हैं, सट्टेबाजी कर रहे हैं और यहां राज कुन्द्रा, जो राजस्थान रायल्स के अधिकारी हैं, सट्टेबाजी कर रहे हैं.
राजस्थान रायल्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक देसाई ने मुद्गल समिति के निष्कर्षो पर सवाल उठाते हुये कहा कि इस मामले में फ्रेन्चाइजी को कोई नोटिस नहीं दिया गया. उन्‍होंने कहा कि कुन्द्रा तो फ्रेन्चाइजी में भागीदार नहीं है और इसमें तो उनके परिवार के सदस्यों के 11 फीसदी शेयर हैं. कुन्द्रा के वकील शेखर नफडे ने उन्हे दोषी ठहराये जाने पर सवाल उठाते हुये कहा कि मुद्गल समिति ने बीसीसीआई के नियमों का पालन नहीं किया.

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