— भारत-तिब्बत मैत्री संघ ने पीएम से की मांग– तिब्बत की मुक्ति के लिए अभियान चलाने का निर्णय– तिब्बत की आजादी के बगैर सुरक्षित नहीं है देशसीतामढ़ी : अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर स्थानीय लोहिया आश्रम में बुधवार को भारत-तिब्बत मैत्री संघ की जिला शाखा द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अध्यक्षता संघ के सचिव रितेश कुमार गुड्डू ने किया. इस अवसर पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता परम पावन दलाई लामा को भारतीय संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करने की मांग की गयी. अन्य प्रस्ताव में तिब्बत में हो रहे मानवाधिकार हनन की निंदा की गयी एवं तिब्बत को चीनी कब्जे से मुक्त कराने के लिए देश भर में अभियान चलाने का निर्णय लिया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ के सचिव रितेश कुमार गुड्डू ने कहा कि तिब्बत की आजादी के बगैर भारत सुरक्षित नहीं रह सकता है. चीनी सैनिकों द्वारा लगातार तिब्बत में धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत को नष्ट कर वहां के लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है. प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य डॉ ब्रजेश कुमार शर्मा ने भारत-तिब्बत एवं चीन के इतिहास पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की सीमा कभी भी चीन से नहीं लगा रहा है. तिब्बत की पवित्र भूमि पर चीन ने कब्जा कर भारत की सीमा में अपनी सीमा मिला लिया. कार्यक्रम में लोहियावादी नेता भाई रघुनाथ, डॉ शशि रंजन, रोहित कुमार, सोनू, विकास कुमार चुनचुन, दीपक कुमार, रूपक सिंह राठौर, मनोज कुमार, श्याम पासवान, सुधीर कुमार द्विवेदी, सुजीत कुमार सिंह, दिनेश प्रसाद यादव समेत अन्य लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये.
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संसद के संयुक्त अधिवेशन में हो दलाई लामा का भाषण
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