भाई, यह बीवी की जूती है. इसे खरीदने से लेकर इसकी अदला-बदली तक में काफी परेशानियां हैं.आम बोलचाल की भाषा में इसको जूतम पैजार भी कह सकते हैं. यह आप की मरजी, जो चाहें समङों. भला मैं क्यों इस पचड़े में अपना सिर खपाऊं . मैं तो ख़ुद काफी तू-तू, मैं-मैं के बाद बीवी की जूती खरीदने दुकान पहुंचा था.भाई वाह, क्या कमाल के लोग थे, दुकान में पहुंचते ही एक लड़का मुङो छोड़ मुस्कुराते हुए मेरी बीवी के पीछे लपका. पूछ बैठा,जूते दूं? जरा सोचिए अगर यही बात मैंने पूछ ली होती तो क्या होता? जबानी खाते में ख़ून खराबा हो जाता.पर, दुकान में बीवी का वो तेवर नहीं गायब.
हां, बीवी ने आखें जरूर तरेरीं. इतने में दुकान के उस छोकरे ने भी रंग बदल लिया. मुस्कुराया और बोला मैडम आप को किस तरह की जूती पसंद है? बीवी ने इधर-उधर देखते हुए कहा ऊंची हील वाली. इतना सुनते ही लड़के ने हील वाली जूतियों के कसीदे पढ़ने शुरू कर दिये. बोला, मैडम ! हील वाली जूती के कई फायदे हैं . मसलन शलवार नीचे से गंदी नहीं होती. सफाई में परेशानी कम होती है. खास बात यह कि इससे आप थोड़ी लंबी भी दिखेंगी. कुछ जूतियों पर नजर फेरने और उलट पुष्ट कर देखने के बाद बीवी ने हील के बदले फ्लैट की फरमाइश कर दी. लड़के ने भी फरमाइश सुनते ही अपना रंग बदल दिया. कहने लगा, आप का चुनाव सही है. हील वाली जूती से पैरों में दर्द होता है.फ्लैट जूती से कहीं दर्द नहीं होता. खास बात यह कि गिरने पड़ने का खतरा भी नहीं. लड़के की बात बीवी के भेजे में घुस गयी. पर, अब विवाद सिर्फ जूती के रंग पर अटक गया. लड़के ने लाल रंग की जूती निकाली और लगा तारीफ करने..मैडम ये जो रंग है लालनहीं है लेकिन लाल जैसा है.
पहनेंगी तो सभी देखेंगे. आस-पड़ोस की कौन कहे दूर-दूर तक किसी के पास ऐसी जूती नहीं मिलेगी. बिलकुल वन पीस है! लड़के के इस बोल से मैं गड़बड़ा गया, सो मैंने पूछ ही लिया. क्यों भाई इस जूती को बनाने के बाद कंपनी बंद हो गयी क्या? सवाल सुन कर लड़का अचकचा गया, मगर बीवी भड़क गयी. बोली- बिना टांग अड़ाये आप को चैन नहीं आता. इस के बाद तो मैंने मौन व्रत ही रख लिया. बीवी ने लाल रंग को यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि अब कोई देखने दिखाने की उम्र रही है क्या? इसके बाद लड़के को कोई और रंग दिखाने का हुक्म दिया. फिर क्या था लड़के ने नापसंद की जा चुकी काले रंग की जूती निकाली और कहने लगा इसे हर रंग के कपड़े पर पहन सकती हैं. इसे कहते तो ब्लैक हैं, पर ब्लैक से थोड़ा अलग है.
लड़के की बात इस बार पल्ले पड़ गयी और बीवी ने काली जूती खरीद ली.असल परेशानी तो घर पहुंचने के बाद उस वक्त शुरू हुई जब बीवी ने नयी जूती के फटे सोल को देखा. मुझ पर बरस पड़ी, कहा- किसी काम के नहीं हो. कहीं जाते हो तो बड़-बड़ करते हो. कुछ बोल दो तो बुत बन कर खड़े हो जाते हो. न जाने अखबार वालों ने कौन-सी ख़ूबी देख कर काम पर रख लिया है. मैं फिर भी चुप ही रहा.. क्योंकि इसी में भलाई थी.
शकील अख्तर
प्रभात खबर, रांची
shakeel.akhter@prabhatkhabar.in