पूसा. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के मशरुम विभाग में राज्य के विभिन्न जिलों से आये मशरुम उत्पादक लैब में प्रत्यक्षण किया. इस दौरान मशरुम वैज्ञानिक डॉ दयाराम ने आगत अतिथियों एवं उत्पादकों ने मशरुम को निश्चित तापमान पर रखने एवं मशरुम सूखाकर उसके डस्ट तैयार करने की तकनीकी से अवगत कराया. इसमें बटन मशरुम एवं ओयस्टर मशरुम को 10-12 तापमान में दो से पांच दिनों तक सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गयी है. इधर जिले के भिन्न भिन्न गांवों में ठहरा, गोपालपुर आदि जगहों से विगत एक सप्ताह से 15-20 किलोग्राम मशरुम पूसा बाजार स्थित हाट में भी उपलब्ध हो रहा है. वैज्ञानिकों की माने तो कुल मिलाकर मशरुम अब हर चाहने वालों की थाली में नजर आ रही है. पौष्टिक तत्व से भरे पूरे बटन मशरुम स्वास्थ्य के साथ आय बढ़ाने का भी साधन बन गया है.
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स्थानीय बाजार में उपलब्ध हुआ बटन मशरुम
पूसा. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के मशरुम विभाग में राज्य के विभिन्न जिलों से आये मशरुम उत्पादक लैब में प्रत्यक्षण किया. इस दौरान मशरुम वैज्ञानिक डॉ दयाराम ने आगत अतिथियों एवं उत्पादकों ने मशरुम को निश्चित तापमान पर रखने एवं मशरुम सूखाकर उसके डस्ट तैयार करने की तकनीकी से अवगत कराया. इसमें बटन मशरुम एवं ओयस्टर […]
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