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अपनी परेशानी को दोस्त से जरूर करें शेयर

वीना श्रीवास्तव लेखिका व कवयित्री इ-मेल: ‘‘दोस्तों को आपसे कुछ नहीं चाहिए होता. उन्हें आपसे कोई लालच नहीं होता, कोई गरज नहीं होती. वे केवल अपने दोस्तों की खुशी चाहते हैं. वे चाहे हमसे कितना भी लड़े-झगड़ें, लेकिन हम जब मुसीबत में होते हैं, तो सबसे पहले हमारे दोस्त ही काम आते हैं, रिश्तेदार नहीं. […]

वीना श्रीवास्तव
लेखिका व कवयित्री
इ-मेल: ‘‘दोस्तों को आपसे कुछ नहीं चाहिए होता. उन्हें आपसे कोई लालच नहीं होता, कोई गरज नहीं होती. वे केवल अपने दोस्तों की खुशी चाहते हैं. वे चाहे हमसे कितना भी लड़े-झगड़ें, लेकिन हम जब मुसीबत में होते हैं, तो सबसे पहले हमारे दोस्त ही काम आते हैं, रिश्तेदार नहीं. रिश्तेदार मदद करने से पहले सौ बार सोचेंगे मगर दोस्त बिना सोचे आपकी मदद करने पहले पहुंच जायेंगे.’’
शुभांगी ने कहा-अच्छा हुआ तुम आ गयीं माधुरी. मुङो कितना टेंशन था, लेकिन तुमसे और भाभी जी से बातें करके मन हल्का हुआ और टेंशन भी खत्म हो गया. माधुरी हंसते हुए बोली- इसीलिए कहती हूं डियर कि दोस्तों से मिलते-जुलते रहना चाहिए. दोस्त तो एंजिल होते हैं. कोई भी मुसीबत, कैसा भी टेंशन और कैसी भी समस्या हो, दोस्त से बात करो और वह सॉल्व्ड. नीला ने कह- इसलिए हमें अपनी सारी प्रॉब्लम अपने दोस्तों से शेयर करनी चाहिए.
कुछ दोस्त बहुत खास होते हैं, जिनसे हम सभी तरह की समस्याएं शेयर कर सकते हैं. हम किसी मुसीबत में कोई गलत कदम न उठा लें, कोई गलत सोच न बना लें, इसलिए बस अपने मित्रों से बात करो, टेंशन फ्री हो जाओ और साथ ही प्रॉब्लम सॉल्व. जैसे किसी बड़ी बीमारी में हम किसी एक डॉक्टर के भरोसे नहीं रहते, बल्किसेकेंड और थर्ड ओपीनियन भी लेते हैं, ताकि हमें बीमारी की गंभीरता के बारे में पता लग सके और हम सही कदम उठाकर सही इलाज भी करवा सकें.
इसी तरह जब हम परेशान होते हैं और कोई निर्णय नहीं कर पाते तब हमें अपने किसी मित्र से बात करनी चाहिए, जिससे हम उसकी भी राय जान सकें और जो बातें हम सैंटी होकर, बायस्ड होकर या किसी प्रेशर में आकर सोच रहे हैं, उन समस्याओं का समाधान निष्पक्ष रूप से निकले और सारा तनाव खत्म हो जाये. चीजें हमेशा एक ही नजरिये से नहीं देखी जातीं. सबसे बड़ी बात कि दोस्तों को आपसे कुछ नहीं चाहिए होता. उन्हें आपसे कोई लालच नहीं होता, कोई गर्ज नहीं होती. वे केवल अपने दोस्तों की खुशी चाहते हैं. वे चाहे हमसे कितना भी लड़े-झगड़ें, लेकिन हम जब मुसीबत में होते हैं, तो सबसे पहले हमारे दोस्त ही काम आते हैं, रिश्तेदार नहीं. रिश्तेदार मदद करने से पहले सौ बार सोचेंगे मगर दोस्त बिना सोचे आपकी मदद करने पहुंच जायेंगे.
वे दिन-रात और दूरी नहीं देखते. एक बार को वे हमारे लिए अपना नुकसान भी बरदाश्त कर लेंगे मगर दोस्त के साथ उसकी परेशानी में खड़े होंगे. कई बार तो अपने दोस्त की खातिर दूसरा दोस्त झूठ बोल कर भी उसे बचाता है मगर उसकी सहायता करता है. सही राय देता है. दोस्तों के साथ मिल कर ही हम नयी ऊंचाइयों को छूते हैं. दोस्तों से बात करने में हमें हिचक भी नहीं होती.
रिश्तेदारों से बात करने पर हम दस बार सोचते हैं कि वे हमारे बारे में क्या सोचेंगे. उनके सामने उनकी सोच और तमाम मानदंड होंगे. तमाम सवाल वे हमसे ही करेंगे और सबसे बड़ी बात कुछ अच्छा करने पर, आगे बढ़ने पर, कामयाब होने पर सबसे पहले हमारे रिश्तेदार ही हमसे कुढ़ते हैं. मैं यह नहीं कह रही कि वे बुरे होते हैं, लेकिन सबके अपने परिवार और अपनी परेशानियां होती हैं. नो डाउट, दोस्तों की भी परेशानियां व परिवार होते हैं. फिर भी किसी मुसीबत में होने पर रिश्तेदार अपनी समस्या, अपना भला पहले देखेंगे. अपनी परवाह पहले करेंगे मगर दोस्त अपनी चिंता न करके अपने दोस्त की परेशानी को ऊपर रखेंगे. यह एक आम सच है.
बहुत लकी होते हैं वे, जिनके रिश्तेदार उनकी कामयाबी और आगे बढ़ने पर खुश होते हों. जैसे हम तो लकी हैं. हमारा परिवार हर मुसीबत में एक साथ रहता है. फिर भी कुछ दूर के रिश्तेदार ऐसे हैं,जिन्हें लगता है कि यह कैसे आगे बढ़ गये. इनके सारे बच्चे कैसे अच्छे निकल गये. उनकी परेशानियां उनकी चिंता का कारण नहीं, बल्किउनकी चिंता का कारण हमारी खुशहाली है. यह कोई नयी बात नहीं, बल्किअमूमन हर परिवार, हर कुनबे की सच्चाई है. इसलिए जो आपके दोस्त हैं, उन्हें सहेजकर रखें. उनमें लाख कमियां हों, लेकिन दोस्त की मदद करते हैं. उनके लिए जान दे सकते हैं.
दोनों नीला की तरफ ध्यानमग्न देख रही थीं. नीला ने उन्हें इस तरह देखते हुए कहा- क्या मेरा लेक्चर ज्यादा बोरिंग हो गया या ज्यादा लंबा? फिर सब हंस पड़ीं. नीला ने कहा- चलो माधुरी बहुत देर हो गयी वरना अपनी क्लास लग जायेगी. दोनों शुभांगी के घर से निकली तो रास्ते में हर जगह चुनावों का शोर और जोर दिखा. तभी माधुरी ने कहा कि भाभी अगले सप्ताह वोटिंग है. हमारे दो बड़े बच्चे बाहर हैं. वैभव तो ज्यादा दूर नहीं है, वह आ सकता है. हां, सावनी का आना मुश्किल होगा. हमें बड़ी भाभी को याद दिलाना होगा कि वैभव को बुला लें. घर पहुंचते ही उन्होंने राशि से कहा- भाभी वोटिंग के लिए हमें वैभव को बुला लेना चाहिए.
राशि ने कहा-जब तक हमारी मां हमारे साथ हैं, हमें किसी भी बात की चिंता नहीं होनी चाहिए. उन्होंने पहले ही उसे फोन कर दिया है, लेकिन वैभव तो पहले ही तैयार बैठा है आने के लिए. एक तो उसे घर आने का मौका मिलेगा और सबसे बड़ी बात तो वह पहली बार वोट डालेगा, इसलिए उसमें ज्यादा उत्साह है और होना भी चाहिए. हमारे प्रदेश की सरकार का जो सवाल है.
अपनी पसंद के उम्मीदवार को चुनने का जो हमारा अधिकार है, उसका सही इस्तेमाल करना चाहिए. इसलिए हमें अपने 18 वर्ष के बच्चों को वोट डालने के लिए प्रेरित करना चाहिए. हमारे देश के युवाओं को और सभी को अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करना चाहिए. यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारे एक वोट से क्या होगा. अगर सभी ऐसा सोचेंगे तो वोटिंग कम हो जायेगी और हो सकता है कि हमारा मनपसंद प्रत्याशी हार जाये. इसलिए हम सब वोट जरूर देंगे. यही लोकतंत्र है और लोकतंत्र की ताकत भी. जय हिंद.
(क्रमश:)

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