मुशहरी: 84 करोड़ जीव जंतुओं के योनि में सबसे महत्वपूर्ण व आनंद का अनोखा अनुभव कराने वाली मानव योनि है. यही कारण है कि भगवान ने बार-बार मानव योनि में जन्म लेकर मां की ममता का रसपान किया है. एक ओर भगवान विष्णु ने भगवान श्रीराम के रूप में अवतार लेकर मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि का बखान करते हुए लीला की.
सत्य और वचन के पालन को अपने जीवन से महत्वपूर्ण समझा. उक्त बातें प्रहलादपुर में चल रहे श्रीश्री 1008 श्रीराम महायज्ञ के समापन के दिन प्रवचन करते हुए स्वामी प्रभंजनानंद शरण जी महाराज ने कही. उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने यदुवंश में श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लेकर बाल लीला, रासलीला, माखनचोरी लीला की. साथ ही भगवान इंद्र के घमंड को चकनाचूर कर गोवर्धन पहाड़ की पूजा शुरू करायी. जबकि कंस, जरासंघ, शिशुपाल जैसे अधर्मियों का नाश किया.
वामन अवतार लेकर राजा बली के दान की परीक्षा ली. वहीं नरसिंह अवतार लेकर पापात्मा, हिरण्य कश्यप का वधकर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा कर धर्मध्वज का स्थापित किया. मत्स्य अवतार लेकर प्रलय के समय धर्म ध्वज की रक्षा करने वालों को बचाया. जब-जब इस मृत्यु लोक में धर्म की हानि हुई है तथा धर्म करने वालों पर अत्याचार बढ़ा है, तब-तब भगवान को इस लोक में अवतरित होकर धर्म की रक्षा करनी पड़ी है.
शुक्रवार को श्रीराम श्याम लीला संस्थान वृंदावन के स्वामी लेखराज शर्मा व ओमप्रकाश शर्मा के कलाकारों ने कथक नृत्य, मोर नृत्य, भगवान श्रीकृष्ण की गोपियों संग रास बिहार के दृश्य का मंचन किया. भाव विभोर दर्शक कलाकारों पर पुरस्कारों की झड़ी लगा दी. वहीं रास लीला में कंस वध का मंचन किया गया. महायज्ञ के अंतिम दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. महायज्ञ समिति के द्वारा आयोजित महाप्रसाद वितरण के दौरान लगभग 10 हजार भक्तों ने देर रात तक महाप्रसाद वितरण किया.
यज्ञ समिति के संयोजक प्रियदर्शनी शाही के नेतृत्व समिति के सदस्यों ने महंथ रामकृपाल प्रसाद, आचार्य वीरेंद्र शर्मा, प्रवचनकर्ता स्वामी प्रभंजनानंद, वृंदावान से आयी रास लीला मंडली के स्वामी लेखराज शर्मा सहित पूरी टीम, अयोध्या से आयी रामधुन संकीर्त्तन टीम सहित अन्य आगंतुकों को विदाई दी. यज्ञ में संयोजक श्री शाही, संरक्षक आनंदवर्धन शाही, सतीश कुमार, महेश पासवान, नंदलाल राय, देवेंद्र प्रसाद, अमित कुमार, बैद्यनाथ शर्मा, कुमोद सिंह, मुन्ना पासवान, शंकर साह, मुख्य यजमान सरिता शर्मा, अरुण शर्मा, सुनली सिंह, सुमंत शाही, हरेराम सिंह, मिलन सिंह, राजेश शर्मा, रामबाबू , विनोद महतो, संतोष आदि मुस्तैद रहे.