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13 जनवरी 1903 को रांची आयीं उर्सुलाइन सिस्टर्स

फोटो ट्रैक- उर्सुलाइन कांवेंट पुरुलिया रोड आगमन का पुण्यकाल 6रांची महाधर्मप्रांत में रोमन कैथोलिक मसीहियों की संख्या यहां की कुल ईसाई आबादी में लगभग 60 फीसदी है़ शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सेवा, सुसमाचार प्रचार जैसे सेवकाई के कार्य विभिन्न धर्मसमाजों (कांग्रीगेशन) के माध्यम से किये जाते हैं. यहां पुरोहितों के 12, ब्रदर्स के छह और सिस्टर्स […]

फोटो ट्रैक- उर्सुलाइन कांवेंट पुरुलिया रोड आगमन का पुण्यकाल 6रांची महाधर्मप्रांत में रोमन कैथोलिक मसीहियों की संख्या यहां की कुल ईसाई आबादी में लगभग 60 फीसदी है़ शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सेवा, सुसमाचार प्रचार जैसे सेवकाई के कार्य विभिन्न धर्मसमाजों (कांग्रीगेशन) के माध्यम से किये जाते हैं. यहां पुरोहितों के 12, ब्रदर्स के छह और सिस्टर्स के 53 धर्मसमाज कार्यरत हैं़उर्सुलाइन सिस्टर्स ऑफ द कांग्रीगेशन ऑफ टिलडोंक (ओएसयू) का रांची में आगमन 13 जनवरी 1903 को हुआ था. यहां उन्होंने बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य, धार्मिक शिक्षा, सामाजिक और पास्तरीय सेवकाई के क्षेत्र में अपना काम शुरू किया़ इस धर्मसमाज की स्थापना फादर जॉन कोर्नेलियुस मार्टिन लांबर्त्ज ने बेल्जियम में वर्ष 1818 में की थी़ इन धर्मबहनों ने फ्रांस की उर्सुलाइन सिस्टर्स ऑफ बोर्डियोक्स धर्मसंघ के नियम कानून अपनाये, जिसकी स्थापना संत एंजेला मेरिसी ने 1535 में की थी. इसका विस्तार 16वीं शताब्दी तक फ्रांस व अन्य यूरोपीय देशों तक हो चुका था़ रांची प्रोविंस में इस कांग्रीगेशन द्वारा इंटर कॉलेज, उर्सुलाइन उच्च, मध्य, प्राथमिक स्कूल, लेस स्कूल व शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट व अन्य संस्थान चलाये जा रहे हैं़ कांके रोड में इस कांग्रीगेशन का प्रोविंसियलेट व नोविशिएट है़ इसके अतिरिक्त पुरुलिया रोड, हेसाग, खेलारी, लोहरदगा, मुरी व सुंडिल में भी मठ हैं़

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