लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रवीण कुमार को हटाकर महाराष्ट्र कैडर के विवादास्पद आईपीएस अधिकारी यशस्वी यादव को उनके स्थान पर तैनात किया है.भाजपा और कांग्रेस ने लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पद पर यादव की तैनाती की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि किसी भी अधिकारी को अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने से पहले उसका रिकार्ड देखा जाना चाहिए.
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि कुमार को कल रात पुलिस महानिदेशक कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया जबकि यादव को नया वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाया गया है. वर्ष 2000 बैच के आईपीएस अधिकारी यादव ने कल रात खुद ही कार्यभार संभाल लिया.
कुमार को हटाने का कोई कारण आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है. गौरतलब है कि यादव को इस साल फरवरीमेंसपा विधायक इरफान सोलंकी से झगड़ा करने के आरोप में जूनियर डाक्टरों पर अत्याचार करने के आरोप में उच्च न्यायालय के आदेश पर कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पद से हटाया गया था.
यादव ने गत 28 फरवरी को आर्यनगर से सपा विधायक इरफान सोलंकी के साथ कुछ मेडिकल छात्रों द्वारा झगडे के बाद हैलट मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टरों पर कथित रूप से बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज कराया था जिसमें 400 से ज्यादा कनिष्ठ चिकित्सक जख्मी हुए थे.
उस घटना के बाद हैलट मेडिकल कॉलेज और लखनऊ स्थित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के अनेक मेडिकल कालेजों के जूनियर डाक्टरों ने सपा विधायक इरफान सोलंकी की गिरफ्तारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यशस्वी यादव के खिलाफ कार्रवाई तथा 24 जूनियर डाक्टरों पर लगाये गये आरोपों को वापस लेने की मांग को लेकर हड़ताल की थी. इसकी वजह से इन मेडिकल कालेजों की चिकित्सा व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हुई थी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गत पांच मार्च को जूनियर डाक्टरों पर लाठीचार्ज समेत सम्पूर्ण मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिये थे. अदालत के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया था.इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यशस्वी यादव को लखनऊ का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है.
भाजपा प्रवक्ता चंद्रमोहन ने एक बयान में कहा कि प्रदेश में एक ओर ईमानदार पुलिस अफसरों को प्रताड़ित किया जा रहा है, वहीं एक दागी अधिकारी को लखनऊ के पुलिस महकमे की कमान सौंपना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के इरादे को स्पष्ट करता है. सरकार एक खास बिरादरी के अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनात करके केवल जातिवाद को ही बढ़ावा दे रही है.
उन्होंने कहा कि यशस्वी यादव ने अपनी नौकरी में भले ही कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया हो लेकिन विवादों में रहने के मामले में वह लगातार तरक्की पाते रहे हैं. महाराष्ट्र कैडर के इस अधिकारी के खिलाफ उनके राज्य में सतर्कता विभाग की दो जांचें चल रही हैं. इसी वजह से उनकी पदोन्नति भी रुकी हुई है. आखिर ऐसे अधिकारी पर इतनी मेहरबानी क्यों हो रही है.
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख एवं पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी ने इस मामले पर कहा कि प्रशासन अपने किस अफसर को कहां रखना चाहता है, यह उनकी अपनी सोच और समझ पर निर्भर करता है लेकिन कहीं भी किसी को तैनात करते वक्त उसका रिकार्ड तो देखा ही जाना चाहए.उन्होंने कहा कि राजधानी की कानून-व्यवस्था को एक ऐसे अधिकारी को सौंप करके पुलिस प्रशासन का एक तरह से मजाक बनाया गया है.