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संपर्क यात्रा : जनता से सीधे जुड़ाव नयी शुरुआत

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संपर्क यात्रा के पहले चरण में 34 जिलों में 32 मीटिंग हुई. जिले से बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारने के उद्देश्य से संपर्क यात्रा सह राजनीतिक सम्मेलन के आयोजन की पूरी जिम्मेवारी जिला जदयू कार्यालय को सौंपी गयी थी. मुख्यालयकीओर से एक झंडा तक नहीं दिया […]

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संपर्क यात्रा के पहले चरण में 34 जिलों में 32 मीटिंग हुई. जिले से बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारने के उद्देश्य से संपर्क यात्रा सह राजनीतिक सम्मेलन के आयोजन की पूरी जिम्मेवारी जिला जदयू कार्यालय को सौंपी गयी थी. मुख्यालयकीओर से एक झंडा तक नहीं दिया गया था.
पूरी यात्रा में प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और पांच जिलों में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी मौजूद थे. संपर्क यात्रा सह जिला राजनीतिक सम्मेलन के पीछे जिला इकाई को सक्रिय करने और चुनाव पूर्व पार्टी की इस योजना के प्रति गंभीर बनाना था. पूरी यात्रा में सभी जगहों पर पार्टी की एक टीम ने कार्यकर्ताओं से उनके संपर्क नंबर और संबंधित बूथ की जानकारी भी एकत्र की. अब इन नंबरों को विधानसभावार कंप्यूटराइज किया जा रहा है. योजना यह है कि चुनाव पूर्व टिकट वितरण से जमीनी हकीकत जानने के लिए नीतीश कुमार कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क साधेंगे. संपर्क यात्रा के दौरान नीतीश कुमार नये अंदाज में थे. छह माह पूर्व लोकसभा चुनाव की पराजय के गम से उबर चुके नीतीश ने भाजपा पर जोरदार हमला बोला.
भाजपा पर हमले के तेवर से सुस्त पड़ चुके जदयू कार्यकर्ताओं में एक नया उत्साह देखने को मिला. अगले साल नवंबर में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में शासन के दौरान कार्यकर्ताओं से दूरी की बात खुल कर स्वीकारी. उन्होंने यह भी माना कि समन्वय का अभाव और कार्यकर्ताओं की कोताही से लोकसभा चुनाव में पराजय मिली. कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा को जवाब आपको ही देना है और आप मन बना लेंगे, तो भाजपा की बोलती बंद हो जायेगी. बेतिया की पहली सभा में उन्होंने स्थानीय सांसद संजय जासवाल को केंद्र में मंत्री नहीं बनाने का मसला उठाया, तो मोतिहारी में कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को घेरने की कोशिश की. कार्यकर्ताओं से वह कहते, पेट्रोल व डीजल की कीमत में कमी आयी, तो रेल भाड़ा क्यों नहीं कम किया जा रहा?
नीतीश ने यात्रा के दौरान ये कहा
– भाजपा ने चुनाव से पहले जो वादे किये, उन्हें अब लागू करने से वह परहेज कर रही है.
– लोकसभा चुनाव के दौरान चुनावी सभाओं में 48 लोग तक मंच पर बैठे थे. मैं सबके नाम सहेज कर रखता हूं. दुख इस बात क ा है कि किसी ने भी नहीं बताया कि हम हार रहे हैं.
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला, कहा- आदरणीय प्रधानमंत्री जी, गरीबों के खातों में पैसा कब देंगे, नकद देंगे या कैश.
– भाजपा जहर बेच रही है और हम दवा करने निकले हैं. जहर का असर तेजी से होता है और दवा धीरे-धीरे काम करता है.
त्नकिसानों के साथ धोखा कर रही दिल्ली सरकार. पहले कहा लागत मूल्य का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करेंगे, अब 3प्रतिशत ही बढ़ोतरी की.
– काला धन का एक पाई नहीं आया. पहले कहा कि इतना काला धन आयेगा कि सबके खाते में 15 से 20 लाख रुपये होंगे, अब कह रहे हैं कि मुङो नहीं मालूम कितना है काला धन
– सुशील कुमार मोदी का खाना तब तक हजम नहीं होता, जब तक मेरी आलोचना नहीं कर लें
– लोगों के नहीं, झाड़ू के अच्छे दिन आ गये.
– लोगों का समर्थन नहीं मिला, इसका मतलब सेवा में कहीं-न- कहीं चूक हुई
– बिहार को न विशेष दर्जा मिला, न विशेष अटेंशन
– मुसलमानों के लिए नहीं, सिद्धांत के लिए छोड़ा भाजपा क ा साथ
– बिहार विधानसभा के चुनाव में भाजपा फिर करेगी झूठे वादे
– बिहार के मतदाताओं ने 40 में 31 सीटें भाजपा क ो दीं, फिर क्यों नहीं दे रहे बिहार पर विशेष ध्यान
– केंद्र के प्रति थी गहरी नाराजगी, हम नहीं दे पाये विकल्प, भाजपा ने मार लिया मैदान
– 20 हजार गांवों में बिजली हमने पहुंचायी और मैदान से भी हम हो गये बाहर
– अटल सरकार में चलता था बिहार का सिक्का, अभी के बिहारी मंत्री हैं कटपीस मंत्री.
नीतीश के सवाल बेदम, उनका क्या जवाब देना : मंगल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि नीतीश कुमार की यात्रा मुद्दाविहीन थी. इसे परिणाम शून्य और हताशा से घिरी हुई यात्रा के रूप में देखा जाना चाहिए. इसमें कोई नयी बात नहीं दिखी. यहां तक कि वह नेता राज्य के हैं और यात्रा के दौरान सवाल केंद्र सरकार पर उठाते रहे. सारे सवाल बेदम हैं, उनका क्या जवाब देना.संपर्क यात्रा में कार्यकर्ता कम, समर्थक अधिक जमा हुए. विधानसभा चुनाव में जनता राज्य सरकार के कामकाज पर वोट करती है. पर, पूरी यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य सरकार के
कामकाज पर कुछ नहीं बोला.
वह कहते थे कि बिहारी कहलाना अब शर्म की बात नहीं, पर यह बताने में कतराते रहे कि किस शासनकाल में बिहारी कहलाना शर्म की बात थी. यह यात्रा लकड़ सुंघवा पक्षी की तरह रही. यह पक्षी पेड़ की चारों ओर चक्कर लगाने के बाद उसी पेड़ को फोड़ती है, जिस पर वह बैठती है. यही हाल नीतीश कुमार का है. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को जगाने की कोशिश की है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है.
ऑडियो से सुनाया मोदी काझूठ
यह पहला मौका था जब संपर्क यात्रा के दौरान जदयू ने नये तरह के प्रयोग किये. सभी जगहों पर जदयू की ओर से ऑडियो प्रोजेक्टर लगाये गये थे, जिनमें लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा किये गये वादों की आवाज गूंजती थी. दूसरी आवाज प्रधानमंत्री के मन की आवाज में कही गयी बातों की सुनायी गयी. पहली ऑडियो में क ाले धन और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर नयी सरकार के वादे सुनाये जाते और दूसरे में अब काले धन पर प्रधानमंत्री के ताजा बयान सुनायी पड़ते. किसी सभा में अपनी बात रखने व विरोधी पर हमला करने का यह अनोखा प्रयोग था.
आडियो प्रयोग की टीम में पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं की हिस्सेदारी थी. पार्टी के इस नये प्रयोग की सोशल मीडिया फेसबुक पर भी चर्चा रही.
मतलब : इसका मतलब साफ था. नीतीश कुमार अपने तरीके से कार्यकर्ताओं को समझा रहे थे. लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार से पस्त जदयू कार्यकर्ताओं को यह समझाना था कि वे विधानसभा चुनावों में भाजपा के तर्कों को किस आधार पर काट सकेंगे. नीतीश कुमार का इशारा यही था कि भाजपा का प्रचारतंत्र कितना भी मजबूत क्यों न हो, विधानसभा के चुनाव में उसे घेरने में जदयू पीछे नहीं रहेगा.
असर : ऑडियो टेप और नीतीश कुमार के समझाने के अंदाज से जदयू कार्यकर्ताओं पर असर दिखा. सभा की समाप्ति के बाद कार्यकर्ता इन मुदों पर आपस में बहस करते नजर आये. विशेष राज्य के दर्जे पर पहले नीतीश कुमार का भाषण, फिर नरेंद्र मोदी का आश्वासन और अब भाजपा नेताओं के तर्क तीनों के मायने कार्यकर्ताओं को बतलाये गये.
जब मांझी आये मंच पर
संपर्क यात्रा का दूसरा टर्निग प्वाइंट वह रहा, जब पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ दूरियां बढ़ने की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जहानाबाद की सभा पर मंच पर नजर आ गये. जहानाबाद में जहानाबाद और अरवल जिलों का एक साथ राजनीतिक सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस दौरान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि वह नीतीश कुमार के लक्ष्मण की तरह हैं. नीतीश कुमार हमारे भगवान हैं.
मैं गरीब हूं. गरीब आदमी गरीब हो सकता है, पर बेईमान नहीं होता है. मांझी अगले दिन उन्होंने गया के संपर्क यात्रा सह जिला राजनीतिक सम्मेलन में भी नीतीश कुमार के साथ मंच साझा किया. हालांकि, जिस समय प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने संपर्क यात्रा के कार्यक्रमों की आधिकारिक घोषणा की थी, उसी समय उन्होंने कुछ सभाओं में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के भी उपस्थित होने की चर्चा की थी. इसी दौरान मांझी के बयानों को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जाने लगे थे.

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