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मूर्तिकारों ने जाना कंटेपररी आर्ट के बारे में

लाइफ रिपोर्टर@पटनाउपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में 30 नवंबर से शुरू हुए मूर्तिकार महोत्सव का आज आखिरी दिन है. समापन समारोह के मौके पर जम्मू से आये पद्मश्री से सम्मानित मूर्तिकार राजेन्द्र टीकू गुरुवार की शाम संस्थान परिसर में मौजूद थे. परिसर में उन्होंने बाकी 50 मूर्तिकारों को अपनी बनायी कलाकृति की स्लाइड शो दिखाया. […]

लाइफ रिपोर्टर@पटनाउपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में 30 नवंबर से शुरू हुए मूर्तिकार महोत्सव का आज आखिरी दिन है. समापन समारोह के मौके पर जम्मू से आये पद्मश्री से सम्मानित मूर्तिकार राजेन्द्र टीकू गुरुवार की शाम संस्थान परिसर में मौजूद थे. परिसर में उन्होंने बाकी 50 मूर्तिकारों को अपनी बनायी कलाकृति की स्लाइड शो दिखाया. उन्होंने अपने लगभग 100 कलाकृति को दिखायाने के साथ ही उसके बनावट के बारे में भी कलाकारों को बताया. सभी कलाकारों समेत संस्थान के उप विकास पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा समेत कई लोग मौजूद थे. कई चीजों को किया है इस्तेमाल1953 में जनमें पद्मश्री राजेन्द्र टीकू को 2013 में मूर्तिकला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. देश-विदेश तक इनकी कला पहचानी जाती है. कई जगहों पर इन्होंने अपनी प्रदर्शनी की है. कई देशों में इन्हें पुरस्कार भी मिला है. उन्होंने बताया कि वे कई चीजों से कंटेंपररी आर्ट का इस्तेमाल करते हैं. टेराकोटा, वुड, स्टोन, रेड सैंड स्टोन, सैंड स्टोन के इस्तेमाल से कई कलाकृतियां तैयार की हैं.ताकि लोगों की निगाहें टिकी रहेंउनकी बनायी कलाकृतियों में एक चीज काफी देखी गयी. वे धागों का और लिखी हुई कुछ रेखाओं का इस्तेमाल किया करते हैं. उन्होंने इस बारे में बताया कि मैं कलाकृतियों में एक ऐसी आड़ी-तिरछी लाइनें खींच देता हूं, जिससे लगता है कि वह एक विशेष भाषा में कुछ लिखा है. लोग उसे पढ़ने की कोशि करते हैं और बरबस ही लोगों की निगाहें उस कलाकृति में टिकी रह जाती हैं. ऐसा ही धागों का उपयोग भी होता है.

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