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गृहमंत्री ने कहा, सरकार की नीतियों से माओवादी हुए हैं कमजोर

नयी दिल्ली : छत्तीसगढ के सुकमा में हुए नक्सली हमले पर लोकसभा में बयान देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही मैं वहां गया. उग्रवाद से पूरी दृढता से निपटने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और नक्सलियों के खिलाफ अभियान को तब तक जारी रखा जाएगा जब तक […]

नयी दिल्ली : छत्तीसगढ के सुकमा में हुए नक्सली हमले पर लोकसभा में बयान देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही मैं वहां गया. उग्रवाद से पूरी दृढता से निपटने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और नक्सलियों के खिलाफ अभियान को तब तक जारी रखा जाएगा जब तक कि इस समस्या का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो जाए.

सरकार की नीतियों से माओवादी कमजोर हुए हैं. हम नक्सलियों से सख्‍ती से निपटेंगे. जब राज्य सरकार केंद्र से मदद मांगती है तो उन्हें सुरक्षाबल उपलब्ध कराये जाते हैं. मैं इस इस हमले में मारे गए लोगों के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं.
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गत सोमवार को छत्तीसगढ के सुकमा में नक्सली हमले की घटना पर संसद के दोनों सदनों में अपनी ओर से दिये बयान में कहा कि माओवादी उग्रवाद से निपटने के लिए सरकार सुरक्षा संबंधी उपाय, विकास से संबंधित उपाय और आदिवासी एवं अन्य कमजोर वर्ग के लोगों को उनका अधिकार दिलाने के उपाय समेत बहुआयामी रणनीति अपना रही है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की नीति के परिणामस्वरुप माओवादियों के हौसले कमजोर हुए हैं. उनके कैडर द्वारा आत्मसमर्पण करने की संख्या में इस वर्ष काफी वृद्धि हुई है.’’उन्होंने कहा कि साल 2011 से माओवादी हिंसा की घटनाओं में निरंतर गिरावट आ रही है जो इस वर्ष भी जारी है. ‘‘हमारा दृढनिश्चय है कि हम अपने सुरक्षा बलों को सभी संभव साधन मुहैया कराएंगे और तब तक इस अभियान को जारी रखेंगे, जब तक कि इस समस्या का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो जाए.’’
कल छत्तीसगढ का दौरा करके और स्थिति की समीक्षा करके लौटे सिंह ने कहा, ‘‘माओवादी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों द्वारा लगातार इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अभियान चलाये जा रहे हैं.’’ सिंह ने कहा, ‘‘मैं यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि राज्य सरकारें जब भी शांति व्यवस्था कायम करने के लिए, उग्रवाद के संकट व प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों :सीएपीएफ: की मांग करती हैं तो सामान्यत: एनआईए विचार करके बल उपलब्ध कराता है. हम राज्य सरकारों की क्षमता में वृद्धि के लिए भी सभी संभव उपाय कर रहे हैं.’’
सुकमा में नक्सलरोधी अभियान का ब्योरा देते हुए गृहमंत्री ने कहा, ‘‘भाकपा :माओवादी: के दस्तों की गतिविधियों की खुफिया जानकारी के आधार पर सीआरपीएफ ने 16 नवंबर, 2014 से एक वृहद अभियान छत्तीसगढ के सुकमा जिले में चिंता गुफा क्षेत्र में कई चरणों में चलाया.’’ उन्होंने कहा कि अभियान में सीआरपीएफ के 2253 एवं राज्य पुलिस के 224 समेत कुल 2477 पुलिसकर्मियों ने भाग लिया. अभियान के पहले और दूसरे चरण में 17 नवंबर तथा 21 नवंबर को कई बार सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच मुठभेड हुई.
उन्होंने कहा कि खुफिया सूचनाएं और मीडिया समेत विभिन्न स्नेतों से मिली जानकारी के आधार पर गत 21 नवंबर को 12 माओवादियों के मारे जाने की खबरें हैं, लेकिन इनकी पुष्टि अभी नहीं हो सकी है. सिंह ने कहा कि 27 नवंबर को शुरु हुए तीसरे चरण में घने जंगली क्षेत्र में अभियान के पश्चात जब सीआरपीएफ की 223 बटालियन एवं कोबरा की 206 बटालियन के सुरक्षाकर्मी अपने शिविर को वापस लौट रहे थे तभी माओवादियों ने कसलपार गांव के निकट उन पर घात लगाकर हमला कर दिया.
गृहमंत्री ने कहा, ‘‘यह घटना एक दिसंबर को सुबह लगभग 10:30 बजे घटी. सुरक्षा बलों ने पूरी बहादुरी के साथ माओवादियों पर जवाबी कार्रवाई की. यह मुठभेड लगभग तीन घंटे चली. इसमें 14 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये और अन्य 14 सुरक्षाकर्मी घायल हो गये। जैसे ही मुठभेड शुरु हुई, सीआरपीएफ की निकटस्थ अन्य टुकडियां भी घटनास्थल पर मदद के लिए पहुंच गयीं.’’ सिंह ने कहा कि हमले में माओवादी मृतक जवानों के हथियार और गोला-बारुद ले जाने में सफल हो गये.
उन्होंने कहा कि दो दिसंबर को दो एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से शहीद एवं घायल सुरक्षाकर्मियों को चिंता गुफा से जगदलपुर और रायपुर लाया गया. सिंह ने कहा, ‘‘एक दिसंबर की इस घटना में शहीद हुए सभी सुरक्षाकर्मियों को मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं.’’

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