21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बदला लेने का अपना अंदाज

सुबह की चाय के साथ गप मारने का मजा ही अलग होता है. तरह-तरह के मीठे, खट्टे, नमकीन, तीखे विचारों के ‘मिक्सचर’ का साथ चाय का स्वाद दोगुना कर देता है. सुबह दिमाग ताजा रहता है, इसलिए एक से बढ़ कर एक ख्याल निकल कर आते हैं. तो जब भाभीजी ने फोन किया कि काफी […]

सुबह की चाय के साथ गप मारने का मजा ही अलग होता है. तरह-तरह के मीठे, खट्टे, नमकीन, तीखे विचारों के ‘मिक्सचर’ का साथ चाय का स्वाद दोगुना कर देता है. सुबह दिमाग ताजा रहता है, इसलिए एक से बढ़ कर एक ख्याल निकल कर आते हैं. तो जब भाभीजी ने फोन किया कि काफी दिनों से आपके दर्शन नहीं हुए हैं, आज सुबह की चाय पर आ जाइए.. मैं फौरन निकल पड़ा. भैया-भाभी को देख कर किसी को भी यकीन हो जायेगा कि शादियां भले जमीन पर होती हों, पर जोड़ियां स्वर्ग में ही बनती हैं. दोनों खाते-पीते घर के लगते हैं.

आजकल की महिलाएं जीरो फिगर और पुरुष सिक्स और एट पैक के पीछे पागल हों, पर हमारे भैया-भाभी शरीर को इस तरह की तकलीफ देने के सख्त खिलाफ हैं. शरीर में आत्मा का वास है और आत्मा में परमात्मा. शरीर को को कष्ट देने का मतलब है, अंतत: परमात्मा को कष्ट देना. बेचारे पूजा-पाठ करनेवाले इंसान हैं, ऐसा पाप कैसे कर सकते हैं. वजन का तो काम है बढ़ना, इसे क्या रोकना! खैर, मैं उनके घर पहुंचा. दरवाजा खुला था. ठंड की वजह से हाथ जेब में थे, उन्हें निकाल कर खटखटाने की जगह मैंने अपने बेसुरे गले से काम लिया.

वैसे अगर आप दरवाजा खटखटा कर उसके खुलने का इंतजार कर रहे हों, तो धुकधुकी लगी रहती है. पता नहीं दरवाजा कौन खोले और किस मूड में खोले. भैयाजी भी इस हालत को समझते होंगे इसलिए उन्होंने पहले ही दरवाजा खोल रखा था. या हो सकता है कि भाभीजी का फरमान हो कि फलां बाबू आ रहे हैं, दरवाजा बंद नहीं रखियेगा. खैर, जो था मेरे लिए अच्छा था. ‘क्या अंदर आ सकता हूं?’ की पुकार लगा कर मैं घर में दाखिल हो गया. भाभीजी ने मुस्कराते हुए स्वागत किया और सोफे पर विराजने का इशारा किया. वह चाय बनाने रसोई की ओर चली गयीं. दो-चार मिनट बीत गये और जब भैया नहीं दिखे, तो मैंने पूछा- ‘‘क्या हुआ? भैया दिखायी नहीं दे रहे? कहीं गये हैं या अंदर कुछ कर रहे हैं?’’ वह देवर-भाभी के रिश्ते पर उतर आयीं, ‘‘अरे बुलाया मैंने है और आप भैया को खोज रहे हैं.’ मैं ईंट का जवाब पत्थर से देने की तैयारी कर रहा था कि उसके पहले ही वह बोलीं, ‘‘पाकिस्तान गये हैं.’’ मैं चौंक गया कि भैया भला क्यों जाने लगे पाकिस्तान.

उनकी तो वहां कोई दूर-दूर तक जान-पहचान नहीं है. उन्होंने तो मोदी जी को वोट इसी चक्कर में दिया था कि वह प्रधानमंत्री बन कर पाकिस्तान को पीं बुला देंगे. मेरे मुंह से तुरंत निकला, ‘‘नवाज शरीफ तो अपनी बेगम को लेकर नेपाल गये हैं, सार्क बैठक में, भैया वहां क्या करेंगे?’’ वह कहने लगीं, ‘‘अरे नहीं, वो तो फ्रेश होने गये हैं.’’ मैंने कहा, ‘‘भैया फ्रेश होने पाकिस्तान जाते हैं!’’ वह बोलीं, ‘‘अरे नहीं, वो भी वहीं जाते हैं जहां सब जाते हैं. अब मोदी जी पाकिस्तान का कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे, तो वो उस जगह का नाम पाकिस्तान रख कर बदला ले रहे हैं.’’

राकेश कुमार

प्रभात खबर, रांची

rakesh.kumar@prabhatkhabar.in

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें