फोटो : 27, 28परिचय : उद्घाटन करते जिला एवं सत्र न्यायाधीश व प्रवचन करते व्यास सुब्रमण्यम शास्त्रीदरभंगा . श्रीमद् भागवत गीता का मूल संदेश कर्मवाद है. सतत धर्म संगत कर्म करनेवालों की आकांक्षा भगवान जरूर पूरी करते हैं. यह बात जिला एवं सत्र न्यायाधीश रतन किशोर तिवारी ने कही. रविवार को मिर्जापुर स्थित गोशाला परिसर में गीता जयंती के अवसर पर गीता ज्ञान यज्ञ के उद्घाटन के पश्चात वे रविवार को बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि गीता संपूर्ण शास्त्र है. उसे पूरे समाज को शासित किया है. आज लोग इससे दूर भाग रहे है. इसलिए यह स्थिति बनी है.इस अवसर पर तिरूपति संस्कृत विश्वविद्यापीठ के संस्कृत शैक्षणिक संकायाध्यक्ष प्रो राधाकांत ठाकुर ने कहा कि यह ग्रन्थ आध्यात्मिक उन्नति का प्रमाणित ग्रंथ है. इसे अपनाकर ही जीवन को संवारा जा सकता है. वहीं मुख्य वक्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गीता की विशेषता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि गीता जीवन जीने का मार्गदर्शन कराती है.इससे पूर्व भगवान के चित्र पर माल्यार्पण किया गया. पं जगन्नाथ के शंखनांद से आरंभ हुए इस उद्घाटन समारोह में सुषमा झा ने भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी. सुनील शर्मा की अध्यक्षता में संचालन डॉ जयशंकर झा ने किया. स्वागत भाषण उपाध्यक्ष डॉ इंदिरा झा ने किया. मौके पर महानंद ठाकुर, सोमेश्वरनाथ दधीचि आदि प्रमुख थे.
जीवन जीने की राह बताती गीता
फोटो : 27, 28परिचय : उद्घाटन करते जिला एवं सत्र न्यायाधीश व प्रवचन करते व्यास सुब्रमण्यम शास्त्रीदरभंगा . श्रीमद् भागवत गीता का मूल संदेश कर्मवाद है. सतत धर्म संगत कर्म करनेवालों की आकांक्षा भगवान जरूर पूरी करते हैं. यह बात जिला एवं सत्र न्यायाधीश रतन किशोर तिवारी ने कही. रविवार को मिर्जापुर स्थित गोशाला परिसर […]
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