बेंगलुरु की एक बीपीओ आधारित कंपनी में 90 प्रतिशत कर्मचारी नि:शक्त हैं. लेकिन अपने आठ साल के सफर में इसने अपनी क्लाएंट लिस्ट में बड़ी-बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों को जोड़ा है. छह सौ लोगों के अपने ‘विशेष’ श्रम बल के बलबूते इस कंपनी ने अपने सालाना राजस्व का आंकड़ा चार करोड़ रुपये से ऊपर पहुंचा दिया है. बदलाव की एक नयी इबारत लिखती इस कंपनी की क्या है कहानी, आइए जानें –
सेंट्रल डेस्क
यह बात सन 2006 की है. बेंगलुरु की रहनेवाली 22 साल की पवित्र, कॉलेज से डिग्री लेकर नयी-नयी निकली थी. पवित्र की शादी कॉलेज की पढ़ाई के समय ही करा दी गयी थी. कॉलेज पास करने के बाद उनकी आंखों में भविष्य को लेकर सपने थे, तो गोद में नौ माह की एक बच्ची भी थी. करियर के बारे में सोचा तो यह था कि सीए बन कर एक कंसल्टैंसी फर्म खोलनी है, जहां एयर कंडीशंड ऑफिस में बैठ कर कागज-पत्तर से पैसे बनाने हैं. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. अपनी किशोरावस्था में पवित्र बेंगलुरु के झोपड़पट्टी में रहनेवाले बच्चों को पढ़ा चुकी थीं.
इस दौरान उन्होंने गरीबी और नि:शक्तता को करीब से देखा और महसूस किया था. ऐसे में उन्होंने तय किया कि भविष्य में इन्हीं लोगों के जीवन में बेहतरी लाने के प्रयास किये जायें. लेकिन इसका जरिया क्या हो, पवित्र यह तय नहीं कर पा रही थीं. ऐसे में उनके पति अशोक गिरि ने सुझाया कि कमजोर तबके के लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उन्हें कोई फायदेमंद बिजनेस शुरू करना चाहिए. पवित्र बताती हैं कि उस दौर में हमारे देश में बीपीओ (बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिग) इंडस्ट्री फल-फूल रही थी. ऐसे में हमें यह ख्याल आया कि क्यों न बीपीओ में ही हाथ आजमाया जाये!
फिर 4 जुलाई 2006 को दो कर्मचारियों के साथ विंध्य ई-इंफोमीडिया की शुरुआत हुई. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डेटा मैनेजमेंट, डेटा एंट्री, डेटा प्रॉसेसिंग, डेटा कंवर्सन, कॉन्टैक्ट सेंटर सॉल्यूशंस आदि सेवाएं मुहैया करानेवाली अपनी तरह की पहली और अनोखी इस कंपनी में आज छह सौ से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, और इनमें से लगभग 90 प्रतिशत नि:शक्त हैं. आज इस कंपनी के क्लाएंट्स में आइबीएम, विप्रो, एयरटेल, आइएनजी वायस्या, टाइटन जैसे बड़े नाम शामिल हैं. एंप्लॉयी रिकॉर्डस डिजिटाइजेशन में इस कंपनी को महारत हासिल है और यह आज की तारीख में यह विप्रो, कॉगिAजेंट और माइंड ट्री जैसी कंपनियों के लगभग 10 लाख कर्मचारियों के डिजिटल रिकॉर्डस तैयार करने में लगी है.
यह कंपनी स्वधार फिनसर्व और जन लक्ष्मी फिनांशियल सर्विसेज सहित कई माइक्रो फिनांस संस्थानों के लिए लोन प्रॉसेसिंग का भी काम कर रही है.
पवित्र और उनके पति की लगन और उनके कर्मचारियों की मेहनत के बलबूते आज विंध्य ई-इंफोमीडिया का सालाना राजस्व चार करोड़ रुपये को पार कर चुका है. लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था. इस बारे में पवित्र बताती हैं कि शुरुआत में कई क्लाएंट्स को हमारी क्षमता पर इसलिए शक होता था कि हमारे यहां इतनी बड़ी संख्या में नि:शक्त लोग काम करते थे. वे हम पर यह सोच कर भरोसा करने से कतराते थे कि हमारी कंपनी तय समय पर टार्गेट पूरा कर पायेगी या नहीं! पवित्र आगे कहती हैं कि ऐसे में हमें उन्हें विश्वास दिलाना पड़ता था कि हमारे सारे कर्मचारी अपने काम में निपुण हैं. बाद में यही हमारी पहचान बनी और आज लोग विंध्य ई-इंफोमीडिया को एक अलग तरह की कंपनी के रूप में जानते हैं.
पवित्र बताती हैं कि हमारी कंपनी में कर्मचारियों का खास ख्याल रखा जाता है. उनके लिए डय़ूटी के दौरान खाने-पीने के साथ-साथ रियायती दरों पर रहने की भी व्यवस्था मुहैया करायी जाती है. हमारे कर्मचारियों में अधिकांश ग्रामीण और कमजोर पृष्ठभूमि से हैं, इसलिए समय-समय पर उनकी कार्यकुशलता निखारने के लिए कंप्यूटर पर बेहतर काम करने और टाइपिंग स्पीड बढ़ाने के प्रशिक्षण के साथ-साथ अंगरेजी की कक्षाओं का भी आयोजन किया जाता है. कंपनी की वेबसाइट कहती है कि उसके लिए लोग अनमोल हैं, इसलिए वह उन्हें सावधानीपूर्वक चुनने और निखारने पर जोर देती है. विंध्य ई-इंफोमीडिया का पंचलाइन ‘एनेबलिंग डिफरेंटली’ भी इस बात की तसदीक करता है कि यह कंपनी वास्तव में कमजोर और नि:शक्त लोगों को सशक्त करने की एक अलग और नयी राह दिखा रही है.