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चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी करते हैं मरीजों का प्लास्टर

सदर अस्पताल में पिछले एक वर्ष से ऐसे ही होता है इलाजसिविल सर्जन ने राज्य स्वास्थ्य समिति को भेजा पत्र, वैकल्पिक व्यवस्था का आग्रहवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. सदर अस्पताल का हड्डी रोग विभाग बगैर तकनीशियन के सहारे चल रहा है. यहां आने वाले मरीजों का प्लास्टर व क्रैप बैंडेज करने के लिए कोई एक्सपर्ट नहीं है. […]

सदर अस्पताल में पिछले एक वर्ष से ऐसे ही होता है इलाजसिविल सर्जन ने राज्य स्वास्थ्य समिति को भेजा पत्र, वैकल्पिक व्यवस्था का आग्रहवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. सदर अस्पताल का हड्डी रोग विभाग बगैर तकनीशियन के सहारे चल रहा है. यहां आने वाले मरीजों का प्लास्टर व क्रैप बैंडेज करने के लिए कोई एक्सपर्ट नहीं है. मरीजों का प्लास्टर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी कृष्णा करते हैं. ऐसी व्यवस्था पिछले एक वर्ष से है. यहां आने वाले मरीजों को पहले डॉक्टर देखते हैं. उसके बाद उसका एक्सरे कराया जाता है. एक्सरे देख कर डॉक्टर प्लास्टर या क्रैप बैंडेज के लिए लिखते हैं. प्लास्टर का जिम्मा कृष्णा का होता है. वे अपने अनुभव के आधार पर प्लास्टर करते हैं, लेकिन उनके पास इसके लिए कोई डिप्लोमा नहीं है. ऐसे में मरीजों का मर्ज कितना ठीक होता होगा, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है. अस्पताल के प्रभारी मैनेजर उपेंद्र दास कहते हैं कि स्टाफ नहीं हैैं. हड्डी रोग विभाग में एक्सपर्ट कर्मचारी एक वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उसके बाद से यह पद खाली है. विभाग बंद नहीं हो, इसके लिए कृष्णा की ड्यूटी लगायी गयी है. हालांकि अस्पताल की बदहाल स्थिति को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ ज्ञान भूषण ने राज्य स्वास्थ्य समिति को पत्र लिख कर तकनीशियन की वैकल्पिक व्यवस्था करने का आग्रह किया है. उन्होंने अस्पताल में ड्रेसर व हड्डी रोग विभाग के लिए तकनीशियन की मांग की है. वर्जनहड्डी रोग विभाग में तकनीशियन नहीं हैं तो डॉक्टर को अपने निर्देशन में मरीजों को प्लास्टर कराना चाहिए. यह स्थिति ठीक नहीं है. इसकी जांच होगी.डॉ एसएम मुश्ताक, प्रमंडलीय अपर निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, .

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