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राजनैतिक अस्थिरता झारखंड के पिछड़ेपन कारण

रांची : झारखंड ने पिछले 14 सालों में राजनीतिक अस्थिरता के खामियाजे को खूब भुगता है. राज्य की इस पीड़ा के कारण इस बार चुनाव में राजनीतिक अस्थिरता ही सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषणों में भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि 15 नवंबर 2000 में […]

रांची : झारखंड ने पिछले 14 सालों में राजनीतिक अस्थिरता के खामियाजे को खूब भुगता है. राज्य की इस पीड़ा के कारण इस बार चुनाव में राजनीतिक अस्थिरता ही सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी भाषणों में भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि 15 नवंबर 2000 में गठन के बाद से प्राकृतिक संसाधनों के धनी इस राज्य में विकास की कमी के पीछे का एकमात्र महत्वपूर्ण कारक राजनीतिक अस्थिरता है. यही बात अन्य राजनैतिक दलों ने भी की.
लेकिन ऐसा क्यों है कि राज्य में औसतन हर डेढ़ साल में एक नयी सरकार आ जाती है? तीन बार गंठबंधन सरकारों के प्रमुख रह चुके झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता अर्जुन मुंडा ने कहा, अस्थिरता के लिए एकमात्र सबसे बडा कारक संस्थागत विकास की अनुपस्थिति है. विधानसभा चुनावों के हालिया चरण में खरसावां निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार मुंडा ने अपनी इस बात को थोड़ा और स्पष्ट किया.
राज्य, जिला और पंचायत योजनाओं को लागू करने के लिए एक नीति की जरूरत है और इस नीति को प्रभाव में लाने के लिए संस्थागत विकास जरूरी है लेकिन ऐसा होने देने के लिए झारखंड अभी शुरुआती दौर में है.

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