ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज की मौत के बाद पूरा देश और दुनिया सकते में है. महज 25 साल की उम्र में ह्यूज की मौत ने अपने पीछे कई सवाल छोड़ दिया है. हालांकि इतिहास में इससे पहले भी इस तरह की कई घटनायें हो चुकी हैं, लेकिन आज क्रिकेट में जितने सारे बदलाव हो रहे हैं वैसे में इस तरह की घटनायें व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न खड़ा करता है.
ह्यूज की मौत के बाद क्रिकेटरों की सुरक्षा को लेकर बहसबाजी जारी है. कई क्रिकेटरों का कहना है कि क्रिकेट सबसे खतरनाक खेल है इसमें खिलाडियों की सुरक्षा पर और ध्यान देना चाहिए. हालांकि जैसे-जैसे समय गुजरता गया वैसे-वैसे क्रिकेट के खेल में बदलाव आता गया है. आरंभिक दौर में क्रिकेटरों के पास सुरक्षा को लेकर उतना ध्यान नहीं दिया जाता था. सुनिल गावस्कर जैसे खिलाड़ी अपने करियर में कभी भी हेलमेट का प्रयोग नहीं किया था.
क्रिकेट में दुर्घटना की बात करें तो अधिकतर हादसे घरेलू क्रिकेट में हुए हैं. ह्यूज की मौत भी घेरलू क्रिकेट खेलने के दौरान हुई. अब सवाल उठता है कि क्या क्रिकेट का यह प्ररूप क्रिकेटरों के लिए सुरक्षित है.
* आइये कुछ आकड़ों पर गौर किया जाए
जॉर्ज सिमर्स : इंग्लैंड के 25 वर्षीय खिलाड़ी जॉर्ज की मौत घरेलू क्रिकेट के दौरान हुई. 1870 की नॉर्टिंघमशायर की ओर से एमसीसी के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर बैटिंग कर रहे थे, जब उनके सिर पर गेंद लगी और बुरी तरह से घायल हुए और बाद में उनकी मौत हो गयी.
डेरियन रेनडल : दक्षिण अफ्रीका के 32 वर्षीय विकेटकीपर बैट्समैन की मौत भी घरेलू क्रिकेट खेलने के दौरान हुई. बैट्समैन को पुल शॉट के दौरान गेंद उनके सिर पर लगी. वे मैदान पर गिर गये, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. यह घटना वर्ष 2013 की है.
जुल्फिकार भट्टी : पाकिस्तान के इस 22 वर्षीय युवा खिलाड़ी की मौत क्लब गेम के दौरान वर्ष 2013 में हुई. भट्टी को बैटिंग के दौरान गेंद छाती पर लगी और गेंद लगते ही वे मैदान पर गिर पड़े. उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया लेकिन वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
अब्दुल अजीज : पाकिस्तान के 18 वर्षीय खिलाड़ी अब्दुल अजीज की मौत भी घरेलू क्रिकेट के दौरान हुई. बैंटिंग करते वक्त एक गेंद उनकी छाती में लगी और बाद में इलाज के दौरान उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था.