पूरे देश में बच्चों में लिंगानुपात को संतुलित करने के लिए भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने इस ओर अपना रुख किया है. कोर्ट ने राज्यों को लडकियों के जन्म पर उसके परिवार वालों को भत्ता देने की घोषणा का सुझाव दिया है, जो लोग बच्चियों ‘आदर और सम्मान’ करके समाजिक बुराई स्त्री भ्रूण हत्या का विरोध कर उनका बेहतर पालन-पोषण करते हैं.
न्यायधीश दीपक मिश्रा ने मंगलवार को अपने बयान में कहा ‘बच्चियों को धरती पर और लोगों की ही तरह रहने का उतना ही हक है, कोई भी इस हक को नहीं छीन सकता है. स्त्री भ्रूण हत्या जैसी घटनाएं समाज में असंतुलन फैला रही हैं.’
न्यायधीश की बेंच में शामिल यू. यू. ललित ने राज्य सरकारों को इस सामाजिक बुराई के खिलाफ ठोस कदम उठाने को कहा. उन्होंने कहा कि स्त्री भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को मान लेने किसी हद तक सही नहीं है. कोर्ट ने बच्च्यिों के जन्म पर उसके परिवार वालों को कुछ प्रोत्साहन दने का भी सुझाव दिया ताकि महिलाओं का आदर और सम्मान समाज बना रहे और लडकियों के जन्म को बढावा मिले ताकि लिंगानुपात में संतुलित हो सके.
कोर्ट ने हरियाणा ,उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में पुरुषों के बदले महिलाओं की संख्या पर चिंता जातायी. कोर्ट ने कहा कि इन राज्यों ने स्थिति को काबू में रखने का आश्वासन दिया है. कोर्ट ने कहा उत्तर प्रदेश में 2011 में हुई जनगणना में बच्चों के लिंगानुपात पर राज्य सरकार ने चुप्पी साध ली थी.सरकार ने इस स्थिति को मजबूत बनाने के लिए आश्वासन भी दिया लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ विशेष काम नहीं हुआ.