संवाददाता, बक्सरसिय-पिय मिलन महोत्सव में मंगलवार को पुष्प वाटिका प्रसंग का मंचन हुआ. महंत राजाराम शरण ने स्वयं माली की भूमिका निभायी. पुष्प वाटिका में माता सीता को जिस मंच पर बैठाया गया, उसे आकर्षक ढंग से सजाया गया था व चारों ओर घूम रहा था. मंगलवार को 10 हजार से अधिक श्रद्धालु पहंुचे थे. महिलाओं की संख्या अधिक थी. अहले सुबह राम और लक्ष्मण अपने गुरुवर विश्वामित्र की पूजा-अर्चना के लिए फूल तोड़ने निकले. फूल तोड़ने के लिए दोनों भाई वैदेही वाटिका पहुंच गये. वहां मालियों ने दोनों भाइयों को वैदेही वाटिका में प्रवेश करने से रोक दिया. माली भगवान श्रीराम को देख कर मोहित हो गये. काफी वार्ता के बाद संवादों के बीच आखिरकार राम-लखन को प्रवेश की अनुमति दे दी गयी. बाद में अपनी सखियों के साथ माता सीता भी उसी वैदेही वाटिका में पहुंच गयीं. दोनों ने एक दूसरे को देखा और मन-ही-मन अपने इष्ट देव से यह प्रार्थना की कि भगवान श्रीराम की वह पत्नी बन सके. सीता के आगमन को लेकर पूरे रास्ते में भी फूलों की वर्षा होती रही. पूरा पंडाल सीताराम के जयकारे से गूंज उठा. देर रात धनुष यज्ञ का मंचन किया गया, जहां परशुराम और लक्ष्मण का संवाद सुन कर लोग आनंदित हो गये.
सिय-पिय मिलन महोत्सव में भाव विभोर हो गये बक्सरवासी
संवाददाता, बक्सरसिय-पिय मिलन महोत्सव में मंगलवार को पुष्प वाटिका प्रसंग का मंचन हुआ. महंत राजाराम शरण ने स्वयं माली की भूमिका निभायी. पुष्प वाटिका में माता सीता को जिस मंच पर बैठाया गया, उसे आकर्षक ढंग से सजाया गया था व चारों ओर घूम रहा था. मंगलवार को 10 हजार से अधिक श्रद्धालु पहंुचे थे. […]
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