सरायरंजन. स्व़ रामलगन बाबू नेक दिल व संवेदनशील कवि थे. उनकी सुखद छत्र-छाया में जो भी आया, वह तृण से तरूवर बन गया. यह बात साहित्यकर सह वरिष्ठ पत्रकार चांद मुसाफिर ने मंगलवार को प्रखंड के हरसिंगपुर स्थित सरस्वती निकेतन में समाजसेवी एवं जनकवि स्व़ रामलगन गिरि की 82 वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि उनके जीवन चरित्र पर प्रकाशित होने वाला स्मृति ग्रंथ नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी होगा. अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् राम पुकार राय ने कहा कि स्व़ रामलगन बाबू ने शिक्षा भले ही मैट्रिक तक ही ग्रहण किये थे, पर अनुभवों ने उन्हें संवारा और कर्त्तव्यों ने उन्हें नेकदिल इंसान बनाया था. अतिथियों का स्वागत जनकवि स्व़ रामलगन बाबू के पुत्र कुमोद प्रसाद गिरि ने किया. धन्यवाद ज्ञापन रवीन्द्र कुमार ठाकुर ने किया. मौके पर रंधीर कुमार मिश्र, प्रो़ अवधेश कुमार झा, डॉ मित्र कुमार ठाकुर, रामलगन सिंह, राम किशोर चौधरी, डॉ एसएन झा, रामबाबू झा, प्रो़ अमरेंद्र कुमार, रंजीत सिंह दूरदर्शी, अमरेश प्रसाद, राम किशोर गिरि, गणेशानंद गिरि, देवेन्द्र गिरि, राम उद्गार गिरि आदि थे.
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साहित्यकार की मनी 82 वीं जयंती
सरायरंजन. स्व़ रामलगन बाबू नेक दिल व संवेदनशील कवि थे. उनकी सुखद छत्र-छाया में जो भी आया, वह तृण से तरूवर बन गया. यह बात साहित्यकर सह वरिष्ठ पत्रकार चांद मुसाफिर ने मंगलवार को प्रखंड के हरसिंगपुर स्थित सरस्वती निकेतन में समाजसेवी एवं जनकवि स्व़ रामलगन गिरि की 82 वीं जयंती समारोह को संबोधित करते […]
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