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नेपाल आकर जनकपुर, लुंबिनी और मुक्तिनाथ न जाने का अफसोस है: मोदी

काठमांडो: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जनकपुर, लुंबिनी और मुक्तिधाम न जा पाने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का एहसास है कि इन क्षेत्रों की यात्रा रद्द होने से नेपाल के लोगों को ‘असुविधा’ और ‘निराशा’ हुई है. मोदी ने अपनी पिछली यात्रा के दौरान इन स्थानों की यात्र करने […]

काठमांडो: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जनकपुर, लुंबिनी और मुक्तिधाम न जा पाने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें इस बात का एहसास है कि इन क्षेत्रों की यात्रा रद्द होने से नेपाल के लोगों को ‘असुविधा’ और ‘निराशा’ हुई है. मोदी ने अपनी पिछली यात्रा के दौरान इन स्थानों की यात्र करने का वादा किया था.
मोदी ने कहा, मैं जब पिछली बार नेपाल आया था तो मैंने जनकपुर, लुंबिनी और मुक्तिधाम जाने की इच्छा जताई थी. मैं इन स्थानों पर सड़क मार्ग से जाना चाहता था ताकि उन लोगों की दिक्कतों का पता लगा सकूं जो इस तरह वहां जाते हैं. लेकिन समय की कमी की वजह से मैं वहां नहीं जा पाउंगा. उन्होंने निकट भविष्य में इन स्थानों की यात्रा करने का नेपाल के लोगों को भरोसा दिलाया.उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में आर्थिक कारणों से उन्होंने बहुत से देशों की यात्रा की है, लेकिन नेपाल को लेकर उनकी यादें उन्हें खुशी देती हैं.
मोदी ने कहा, नेपाल की जनता का भारत सरकार और भारतीय लोगों पर हक है और उससे भी ज्यादा प्रधान सेवक होने के नाते मुझपर उनका हक है. 18वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग लेने यहां आए मोदी की काठमांडो के 250 किलोमीटर दक्षिण में स्थित मां सीता की जन्मस्थली जनकपुर जाने की योजना थी.
इसके अलावा मोदी भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी और हिंदुओं के एक अन्य तीर्थ मुक्तिनाथ जाने के भी इच्छुक थे, जो दक्षिणी पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कल कहा था कि प्रधानमंत्री संसद सत्र के मद्देनजर इन स्थानों पर नहीं जा पाएंगे.

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