रांची : राज्य में चुनाव के पहले चरण में एक भी अनपढ़ उम्मीदवार नहीं है. सभी प्रत्याशी कम से कम अपना नाम जरूर लिख सकते हैं. दूसरी ओर प्रत्याशियों में पढ़े-लिखे लोग भी हैं. इंजीनियर, पीएचडी की उपाधि (डॉक्टर) लेनेवाले प्रत्याशी भी मैदान में हैं. पहले चरण के चुनाव में कुल 13 विधानसभा क्षेत्र से खड़े कुल 199 उम्मीदवारों में से 38 फीसदी (कुल 76) उम्मीदवार स्नातक या उससे अधिक पढ़े-लिखे हैं. 61 फीसदी (कुल 122) प्रत्याशियों ने 12वीं या इससे कम पढ़ाई की है. उम्मीदवारों में 44 लोगों ने मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं की है.
13 उम्मीदवार कभी स्कूल नहीं गये हैं, हालांकि वे भी साक्षर हो गये हैं. कभी स्कूल नहीं जानेवाले साक्षरों में निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या अधिक है. डालटेनगंज से निर्दलीय प्रत्याशी अमलेश प्रसाद, मनीष कुमार, गढ़वा के बबनू सिंह, जलालुद्दीन रंगसाज, भवनाथपुर से भानु राम और किशनू राम सिर्फ साक्षर हैं. छोटे दलों में झापा के पांकी प्रत्याशी अवधेश उरांव, मनिका के सीपीआइ उम्मीदवार गणोश भगत, भवनाथपुर के सीपीआइ प्रत्याशी रामेश्वर प्रसाद अकेला, चतरा से अखिल भारतीय हिंदू महासभा के सागर राम, बसपा के भवनाथपुर प्रत्याशी ताहिर अंसारी और चतरा के माले उम्मीदवार उमेश भुइयां की अहर्ता भी साक्षर है. पहले चरण के चुनाव में पूर्व आइएएस ऑफिसर, इंजीनियर, पीएचडी उपाधि लेनेवाले और सेना में काम कर चुके प्रत्याशी भी किस्मत आजमा रहे हैं.
एलएलबी, एमएड और बीएड जैसे प्रोफेशनल कोर्स कर चुके प्रत्याशी भी चुनाव लड़ रहे हैं. विश्रमपुर से कांग्रेस प्रत्याशी अजय कुमार दुबे पहले चरण का चुनाव लड़ रहे इकलौते इंजीनियर हैं. इन्होंने मनिपाल विश्वविद्यालय, मैंगलोर से 1995 में इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी. पांकी से निर्दलीय प्रत्याशी कुशवाहा शशि भूषण मेहता ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है. वह रांची विवि से पीएचडी होल्डर हैं. इनके अलावा डालटेनगंज के कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी, छत्तरपुर के झाविमो उम्मीदवार प्रभात कुमार, मनिका से राष्ट्रीय देशज पार्टी के उम्मीदवार राजकुमार पाहन और गुमला से सपा के सुनील कुल्लू भी प्रोफेशनल गै्रजुएट हैं.