दक्षा वैदकर
सुंदरवन नामक एक गांव था. वहां एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था. वह किसान एक बड़े-से खेत में खेती किया करता था. उस खेत के बीचों-बीच पत्थर का एक हिस्सा जमीन से ऊपर निकला हुआ था, जिससे ठोकर खा कर वह कई बार गिर चुका था और न जाने कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे.
रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेत में हल जोतने पहुंचा, पर जो सालों से होता आ रहा था, वही हुआ. एक बार फिर किसान का हल पत्थर से टकरा कर टूट गया. लेकिन इस बार किसान बहुत क्रोधित हो उठा और उसने मन ही मन सोचा कि जो भी हो जाये, वह इस चट्टान को जमीन से निकाल कर इस खेत के बाहर फेंक देगा. वह तुरंत भागा और गांव से 4-5 लोगों को बुला लाया और सभी को लेकर वह उस पत्थर के पास पहुंचा. किसान ने अपने दोस्तों को पूरी दास्तां सुनायी. किसान ने दोस्तों से कहा, आज हम सब मिल कर चट्टान के इस हिस्से को निकाल कर खेत के बाहर फेंक देंगे.
और ऐसा कहते ही वह फावड़े से पत्थर के किनारे मिट्टी खोदने लगा, पर यह क्या. अभी उसने एक-दो बार ही मारा था कि पूरा का पूरा पत्थर जमीन से बाहर निकल आया. साथ खड़े लोग भी अचरज में पड़ गये और उन्हीं में से एक ने हंसते हुए पूछा, क्यों भाई, तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच में एक बड़ी-सी चट्टान दबी हुई है, पर यह तो एक मामूली-सा पत्थर निकला. किसान भी आश्चर्य में पड़ गया. सालों से जिसे वह एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था, दरअसल वह बस एक छोटा-सा पत्थर था. उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता, तो न उसे इतना नुकसान उठाना पड़ता और न ही दोस्तों के सामने उसका मजाक बनता.
दोस्तों हमारी जिंदगी में भी छोटी-छोटी समस्या को हम बड़ी समस्या मानते हैं और जिंदगीभर रोते रहते हैं. हम समस्या हल करने की शुरुआत ही नहीं कर पाते. हम यह पता लगाने की कोशिश ही नहीं करते कि समस्या का कारण क्या है. हमें यह जानना चाहिए और उसका समाधान करना चाहिए.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
कई बार जो चीजें दिखायी देती हैं, वैसी होती नहीं हैं. इसलिए जब भी कोई समस्या सामने आये, उसे देख कर ही डरना शुरू न कर दें. सामना करें.
जब हम समस्या को हल करने की ठान लेते हैं, तो आधी समस्या तभी हल हो जाती है. कई बार समस्याएं केवल हमारे दिमाग में होती हैं.